वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए स्थापित एक्यूएम केंद्र का महापौर ने किया शुभारंभ

  
Last Updated:  February 15, 2023 " 06:50 pm"

ग्रीन एनर्जी पर इंदौर ने जो करके दिखाया है, वह पुरे देश के लिए नया संदेश है- महापौर

इंदौर : क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर में वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए 03 नए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग (एक्यूएम) केंद्र स्थापित किए हैं।इनमें से शासकीय मालव कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल,मोती तबेला में स्थापित एक्युएम केन्द्र का शुंभारम्भ महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने किया। इस अवसर पर स्वास्थ्य प्रभारी अश्विनी शुक्ल, अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन, अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा, युएसएआईडी के कौशिक हजारिका, मिस्टर कुमार, अनिल सक्सेना, डब्ल्यूआरआई प्रोग्राम डायरेक्टर कुमार कुमारस्वामी और ईडीएफ चीफ एडवाइजर इंडिया, क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक, आशा कार्यकर्ता, विद्यालय की छात्राऐं व अन्य उपस्थित थे।

इस मौके पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि बीते माह में शहर में आयोजित प्रवासी भारतीय सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था, कि इंदौर एक दौर है, जब देश के अन्य शहर व प्रदेश कोई काम को करने के लिए सोचते हैं, तब तक इंदौर उसका पर कार्य कर चुका होता है। इसी कडी में इंदौर जब स्वच्छ भारत मिशन में सम्मिलित हुआ तो जागरूक नागरिको के साथ ही सहयोगी संस्थाओं की मदद से लगातार देश में छः बार स्वच्छता का तमगा हासिल किया। इसके साथ ही इंदौर ने ग्रीन बॉण्ड जारी कर ग्रीन एनर्जी के लिए जो काम किया है, वह देश के अन्य शहरों के लिए नया संदेश है।

महापौर ने कहा कि इंदौर नगर निगम व क्लीन एयर कैटलिस्ट के माध्यम से मालव कन्या स्कूल में निगरानी केन्द्र स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से मॉनिटरिंग स्टेशन ब्लैक कार्बन, कार्बन मोनोऑक्साईड, पीएम 2.5 एंड पीएम 10 की निगरानी कर आने वाले समय में क्लीन इंदौर, ग्रीन इंदौर की ओर आगे बढ़ते हुए एयर क्वालिटी को बेहतर बनाने में भी सहयोग मिलेगा।

बता दें कि यह प्रोजेक्ट इंदौर के अलावा इंडोनेशिया के जकार्ता और केन्या के नैरोबी शहरों में वायु प्रदूषण की समस्या को दूर करने के उपायों को बढ़ावा दे रहा है।

इंदौर जैसे महानगरीय शहरों में रहने वाले लोग समग्र पर्यावरण के बारे में अधिक जागरूक हो रहे हैं। इसलिए वे जिस हवा में सांस लेते हैं, उसके बारे में जानने की रुचि रखते हैं। हम (स्वच्छ वायु उत्प्रेरक-इंदौर) शहर की परिवेशी वायु में विभिन्न प्रदूषकों की संरचना और स्तर का अध्ययन करने और समझने के लिए वायु गुणवत्ता की जानकारी एकत्र करते हैं। लक्ष्य वायु प्रदूषण के स्रोतों, लोगों के जीवन पर इसके प्रभाव को बेहतर ढंग से समझना, प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की रक्षा करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य व पर्यावरण में सुधार के लिए वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से रणनीति तैयार करना है। वायु गुणवत्ता की निगरानी करके हम (स्वच्छ वायु उत्प्रेरक – इंदौर) वायु प्रदूषण के स्तर में प्रवृत्तियों और पैटर्न की पहचान कर सकते हैं, यह निर्धारित कर सकते हैं कि कौन से प्रदूषक सबसे अधिक प्रचलित हैं, और वायु गुणवत्ता पर मानव गतिविधियों और प्राकृतिक घटनाओं के प्रभाव का आकलन कर सकते हैं।

क्लीन एयर कैटलिस्ट, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (यूएसएआईडी) के सहयोग से चल रहा एक प्रोग्राम है, जो वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) और एन्वायर्नमेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के नेतृत्व में विभिन्न संस्थाओं की वैश्विक साझेदारी है। वायु प्रदूषण स्रोतों के बारे में सभी लोगों के बीच साझा जागरूकता जरूरी है। इससे स्वच्छ हवा प्रदान करने के लिए आवश्यक समाधान विकसित करने में मदद मिलती है। शहर में तीन जगह स्थापित नियामक श्रेणी के नए उपकरण स्वच्छ वायु संबंधी नीतियों को आकार देने के लिए उपयोगी डेटा प्रदान करेंगे। यह डेटा वायु प्रदूषण को रोकने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और स्वास्थ्य की रक्षा करने में मददगार होता है। निगरानी उपकरण वायु प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों संबंधी डेटा भी प्रदान करेंगे। परियोजना के पूरा होने के बाद यह उपकरण शहर को सौंपे जाने की उम्मीद है। सभी तीन साइटों पर उपकरण हवा को प्रदूषित करने वाले कणों (पार्टिकुलेट मैटर) के स्तर को मापेंगे। और “सुपरसाइट“ पर उपकरण ब्लैक कार्बन और कार्बन मोनोऑक्साइड के स्तर की भी गणना करेंगे।

क्लीन एयर कैटलिस्ट प्रोजेक्ट वायु प्रदूषण और सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषकों के जोखिम को कम करना चाहता है। इसके लिए डेटा के जरिये असरदार समाधान देने वाली एक अभिनव कार्यप्रणाली (डेटा-टू-इम्पैक्ट) को अपनाया गया है। इससे जलवायु, स्वास्थ्य और विकास संबंधी लाभ भी साथ-साथ हासिल होते हैं। क्लीन एयर कैटलिस्ट उन प्रदूषकों और प्रदूषण स्रोतों पर प्राथमिकता से काम करेगा जो कमजोर आबादी और महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। साथ ही जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रदूषकों और उत्सर्जक गतिविधियों से निपटने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करेगा।

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