शहीदों के बलिदान से जुड़े तीन पुरातन पेड़ों को ऐतिहासिक धरोहर घोषित करने की मांग

  
Last Updated:  June 9, 2023 " 09:08 pm"

एमवायएच, रेसीडेंसी कोठी और संवाद नगर में स्थित हैं यह 200 वर्ष से भी पुराने पेड़।

इंदौर : शहर में तीन पेड़ ऐसे हैं, जो 200 वर्ष से भी अधिक पुराने होकर इतिहास की कई घटनाओं के साक्षी रहे हैं। संस्था सेवा सुरभि ने इन तीनों पेड़ों को धरोहर घोषित करने के लिए निगमायक्त हर्षिका सिंह को ज्ञापन भेंटकर ‘हमारा इंदौर, हमारा पर्यावरण’ पुस्तिका में इनका इतिहास और विवरण प्रकाशित किया है।

संस्था के संयोजक ओमप्रकाश नरेडा ने बताया कि एमवाय हास्पिटल परिसर में नई ओपीडी एवं डॉक्टर्स के पुराने क्वार्टर के पास नीम का जो पेड़ है, वह 200 वर्ष से अधिक प्राचीन है। इसी पेड़ की शाखाओं पर 10 फरवरी 1858 में सूर्यवंशी राजा एवं मालवा निमाड़ के गौरव अमझेरा के तत्कालीन राजा बख्तावरसिंह राठौर और उनके साथियों को अंग्रेजो ने फांसी पर लटका दिया था।दूसरा पेड़ बरगद का रेसीडेंसी कोठी परिसर में है। यह भी लगभग 200 वर्ष पुराना पेड़ हैं। इसी पेड़ की शाखा पर 7 सितम्बर 1874 होल्कर सेना के सआदत खां को फिरंगियों ने फांसी पर लटकाया था। तीसरा बरगद का पेड़ आजाद नगर पुल के पास संवाद नगर में है, जो शहर का सबसे प्राचीनतम और विशाल वृक्ष है। यहां 1 जुलाई 1857 को रेसीडेंसी में अंग्रेजों के विरुद्ध फैले विद्रोह के दौरान कर्नल ड्यूरंड ने भागने की कोशिश की थी तब उन्हें अपने गुप्तचरों से मालूम पड़ा था कि इसी पेड़ के तने में छुपे सिपाही उन पर हमला कर सकते हैं। इस तरह शहर के ये तीनों पेड़ प्राचीनता के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम के रोमांचक इतिहास को भी अपने साथ समेटे हुए हैं इसलिए इन तीनों पेड़ों को शहर की धरोहर घोषित की जाना चाहिए।

हाल ही संस्था सेवा सुरभि ने ‘हमारा इंदौर, हमारा पर्यावरण’ शीर्षक से पुस्तिका का प्रकाशन किया है, जिसमें इन तीनों पेड़ों का सचित्र विवरण विवरण दिया गया है। इस पुस्तिका का विवरण डॉ. ओ.पी. जोशी, डॉ. किशोर पवार, डॉ. सुधीन्द्र मोहन शर्मा एवं भोलेश्वर दुबे ने बड़ी मेहनत से तैयार किया है।

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