शांति दादा ने ही दिलाई थी रेडीमेड कॉम्प्लेक्स की सौगात

  
Last Updated:  June 23, 2021 " 09:12 pm"

कीर्ति राणा इंदौर। शहर के रेडिमेड गारमेंट्स कारोबार को देश-विदेश में पहचान दिलाने के साथ ही परदेशीपुरा स्थित रेडिमेड गारमेंट्स कॉम्प्लेक्स की सौगात दिलाने वाले शांतिप्रिय डोसी का 85 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।पिछले चार साल से वे व्हील चेयर पर थे लेकिन उनकी धार्मिक सक्रियता यथावत रही।मित्रों-समाजजनों के बीच शांति दादा के नाम से पहचाने जाने वाले बोलचाल में जितने कड़क मिजाज नजर आते थे, उतने ही यारबाज भी थे।शहर की राजनीति में महेश जोशी के विश्वस्त और चुनाव में डंडे-झंडे की व्यवस्था संभालने वाले शांति दादा के आड़ाबाजार स्थित रेडिमेड कारखाने पर महेश जोशी और उनकी मंडली के सदस्य आरडी जैन, महेश पलोड़, वीडी ज्ञानी, कृपाशंकर शुक्ला आदि की बैठक देर रात तक चलती रहती थी।उसी कारखाने वाले भवन में नीचे संभवत: उनके भाई की घी-पापड़-अचार आदि की दुकान थी।
आज से पांच-छह दशक पहले रेडिमेड कारोबारी शांति दादा अपना माल अन्य राज्यों ही नहीं विदेश तक में एक्सपोर्ट करते थे।किस शर्ट पर, फ्रॉक आदि पर क्या डिजाइन रहेगी, वे खुद ही डिजाइन बनाकर कारीगरों को देते थे।इंदौर में हर दो साल में इंटरनेशनल रेडिमेड गारमेंट्स एक्सपो आयोजित करने की शुरुआत भी उन्होंने ही की।इन्हीं सारे कारणों से भी उनकी गारमेंट कारोबारियों में धाक थी।
जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने तो शांति दादा ने उनके समक्ष इंदौर में रेडिमेड कॉम्प्लेक्स के लिए जमीन देने का प्रस्ताव रखा।इंदौर रेडिमेड गारमेंट्स का हब तो था ही साथ में महेश जोशी की सिफारिश, तो शहर को मिली यह सौगात शांति दादा के नाम दर्ज हो ही गई। बाद में जब उन्होंने ये कारोबार बंद कर दिया, बेटे शरद डोसी ने बिल्डर्स के रुप में अपनी पहचान बना ली तब भी वे करीब 25 साल इंदौर रेडिमेड वस्त्र व्यापारी संघ के अध्यक्ष रहे।
रेडिमेड कारोबारी शांति दादा को जैन संतों की सेवा से जोड़ने वाले समाजसेवी प्रकाश बड़नगर का कहना था कालानी नगर में पहले छोटा उपाश्रय बनाया था।बाद में यहां अंजन शलाका महोत्सव करने का निर्णय लिया तो गच्छाधिपति आचार्य भगवंत सूर्योदय सागर बांसवाड़ा में चौमासा कर रहे थे।उन्हें मैं मानमलजी और शांति दादा निमंत्रित करने गए। बंधु बेलड़ी जिनचंद्र और हेमचंद्र सागरजी जी भी आए थे।श्वेतांबर जैन समाज का यह शहर का पहला अति भव्य आयोजन था। दादा की तो फिर दिशा ही बदल गई।
उनके आड़ाबाजार वाले मकान में रहे एमटीएच क्लाथ मार्केट अध्यक्ष हंसराज जैन कहने लगे रेडिमेड कारोबार के साथ उन्होंने हाटपीपल्या के पास शुगर मिल भी शुरु की लेकिन वह चल नहीं पाई।
पिछले तीन-चार दशक से तो वे पूरी तरह संतों की सेवा, मंदिर निर्माण जैसे कार्यों को अंजाम देने में जुट गए थे।बंधु बेलड़ी जैनाचार्य जिनचंद्र-हेमचंद्र सागरजी ने गुजरात में पालीताणा के पास वल्लभीपुर में भगवान आदिनाथ की भव्य प्रतिमा और अप्रतिम अयोध्यापुरम मंदिर स्थापित कराया है।निर्माण से लेकर प्रतिमा स्थापना दीक्षा-उत्सव सम्पन्न होने तक ढाई साल की अवधि में दादा-भाभी (चमेली देवी डोसी) पालीताणा में ही डटे रहे।समाज के लिए शैक्षणिक दिशा में कुछ करने और ह्रिंकार गिरि में जैन श्वेतांबर प्रोफेशनल स्टडीज कॉलेज की प्लानिंग बनी तो दादा ने आर्थिक सहयोग में तत्परता दिखाई।संतों के चौमासे हो या छ:रि पालक संघ यात्रा हो सब जगह शांति दादा की सक्रिय भागीदारी रहती थी।

शांति दादा के आह्वान पर रेडिमेड कपड़ा व्यापारियों ने दस साल पहले बंद रखा था कारोबार।

वर्ष 2011-12 के आम बजट में ब्रांडेड रेडिमेड कपड़ों पर दस प्रतिशत की दर से अनिवार्य उत्पाद शुल्क लगाये जाने के प्रस्ताव के खिलाफ प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में हजारों वस्त्र निर्माताओं और विक्रेताओं ने अपना कामकाज बंद रखा था। नतीजतन रेडिमेड कपड़ों के करोड़ों रुपये के दैनिक कारोबार पर इसका असर पड़ा। तब इंदौर रेडीमेड वस्त्र व्यापारी संघ के अध्यक्ष शांतिप्रिय डोसी थे।इस कारोबार बंद के राष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन में शहर के लगभग 2,000 परिधान निर्माता शामिल हुए और उन्होंने अपनी इकाइयां बंद रखीं। इस बंद को रेडीमेड कॉम्प्लेक्स व्यापारी संघ, महाराजा तुकोजीराव होलकर क्लॉथ मार्केट एसोसिएशन और इंदौर रेडीमेड रिटेल व्यापारी संघ समेत कई संगठनों ने अपना समर्थन दिया था। आज शांति दादा नहीं हैं लेकिन उनकी यादें हमेशा उनके चाहने वालों के मन में बसी रहेंगी।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *