शिक्षा का चाहे हो व्यवसायीकरण पर गुणवत्ता बरकरार रहे – कुलपति रेणु जैन

  
Last Updated:  September 10, 2022 " 09:12 pm"

अंतर महाविद्यालयीन वाद विवाद प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने दमदारी से रखे तर्क।

इंदौर : देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने कहा है कि शिक्षा का चाहे व्यवसायीकरण हो जाए लेकिन उसमें गुणवत्ता का होना बहुत जरूरी है । किसी भी शिक्षण संस्थान के संचालन में लोक कल्याण की भावना समाहित होना चाहिए ।

कुलपति डॉ. जैन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार अध्ययन शाला में अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित अंतर महाविद्यालयीन वाद विवाद प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करते हुए संबोधित कर रही थी । अभ्यास मंडल द्वारा अपने 64 वें स्थापना दिवस के अवसर पर ” शिक्षा का व्यवसायीकरण गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की ओर ले जाएगा ” विषय पर वाद विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। विषय प्रवर्तन हरेराम वाजपेई ने किया । इस प्रतियोगिता में 15 महाविद्यालयों के 30 विद्यार्थियों ने भाग लिया। सभी विद्यार्थियों ने विषय के पक्ष और विपक्ष में अपने तर्क रखें ।
उन्होंने देश की पुरातन गुरुकुल शिक्षा प्रणाली से लेकर वर्तमान दौर में चल रही शिक्षा प्रणाली और केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू की गई नवीन शिक्षा प्रणाली को केंद्र बिंदु बनाते हुए अपने तर्क रखे। प्रतियोगिता के अंत में निर्णायक शिल्पा ग्रोवर, कपीश दुबे और विशंभर तिवारी द्वारा दिए परिणामों की घोषणा की गई। पक्ष में होलकर विज्ञान महाविद्यालय की देवश्री शर्मा प्रथम, ईएमआरसी की मनस्वी जैन द्वितीय और नवीन विधि महाविद्यालय के विनय यादव तृतीय रहे । जबकि विपक्ष में ईएमआरसी की चित्रा गंधे प्रथम, जीएसीसी की मौसम राजपूत द्वितीय और नवीन विधि महाविद्यालय की नंदिनी पाटीदार तृतीय रही । चलित मंजूषा का विजेता ईएमआरसी रहा।

शिक्षा का व्यवसायीकरण हो पर गुणवत्ता बनीं रहे।

इस अवसर पर अपने संबोधन में कुलपति डॉ रेणु जैन ने कहा कि आज भी सरकारी विद्यालय के रूप में केंद्रीय विद्यालय बेहतर शिक्षा के केंद्र बने हुए हैं । जब हम लोग शिक्षा प्राप्त करते थे उस समय निजी विद्यालय नहीं होते थे । शासकीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर बेहद ऊंचा हुआ करता था । भाषा के विषय को प्रखर विद्वान पढ़ाया करते थे । उस समय नैतिक शिक्षा तो शिक्षालयों की हवा में थी । उन्होंने गांधीजी की 100 वी जयंती और आजादी के रजत जयंती के अवसर पर आयोजित किए गए कार्यक्रमों को याद किया । कुलपति ने कहा कि देश की बढ़ती आबादी के हिसाब से बेहतर स्कूलों की आवश्यकता महसूस होती है । कई स्थानों पर तो ऐसे स्कूल होते हैं जहां पर कमरे और सुविधा भी मौजूद नहीं होती हैं । सरकार के स्रोत सीमित हैं, यह हमें ध्यान रखना चाहिए । स्कूल और कॉलेज का संचालन करने में लोक कल्याण की भावना सर्वोपरि होना चाहिए । शिक्षा का व्यवसायीकरण तो हो चुका है। समस्या व्यवसायीकरण से नहीं बल्कि इस बात से है कि शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहना चाहिए । आज भारत में शिक्षा प्राप्त युवा विदेशों में देश का नाम बड़ा कर रहे हैं । इस बात का हमें गर्व होना चाहिए ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ शिक्षाविद शंकर लाल गर्ग ने कहा कि मैंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सभी को सुना है । हमारी पार्टी या धर्म कोई भी हो लेकिन हमें हर किसी को सुनना चाहिए । हम जिसे भी सुनेंगे उससे हमें कुछ ना कुछ सीखने के लिए मिलेगा। दिमाग हर व्यक्ति के पास एक समान है । आवश्यकता इस बात की है कि हम इस दिमाग का कितना उपयोग कर पाते हैं । उन्होंने व्यवसायीकरण को परिभाषित करते हुए कहा कि इसे कमर्शियलाईजेशन और प्रोफेशनलिज्म दोनों कहा जा सकता है । इसमें कमर्शियलाईजेशन खराब है व प्रोफेशनलिज्म अच्छा है । हमारे देश में वर्तमान में जो व्यवस्था है उसमें एक गरीब व्यक्ति भी शिखर तक पहुंच सकता है । यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि विश्व के 200 श्रेष्ठ विश्वविद्यालय में भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है । इस सूची में दिल्ली विश्वविद्यालय भारत की ओर से सबसे ऊपर आता है और उसका स्थान 510 वां है । हमारे देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का नाम कहीं नहीं आता है । हमें यह कोशिश करना चाहिए कि हम अपने इस विश्वविद्यालय को विश्व के श्रेष्ठतम 200 विश्व विद्यालय की सूची मैं लाएं ।

प्रतियोगिता की निर्णायक शिल्पा ग्रोवर ने कहा कि कोटा और इंदौर कोचिंग इंस्टिट्यूट की राजधानी बन गए हैं । इनका 6000 करोड़ रुपए का टर्नओवर है । बायजूस के लिए फिल्म स्टार शाहरुख खान कैम्पेन करते हुए नजर आते हैं । इससे स्पष्ट है कि शिक्षा का व्यवसायीकरण तो हो चुका है । हमारे देश में मेडिकल टूरिज्म 49% बढ़ गया है । विश्व की किसी भी कंपनी से यदि भारतीय लोगों को हटा दें तो वह कंपनी बंद हो सकती है । यह हमारे लिए फक्र की बात है । विशंभर तिवारी ने कहा कि इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों ने बहुत अध्ययन किया और बहुत सी बातें सामने रखी लेकिन वे यह नहीं बता पाए यह व्यवसायीकरण देश को कहां ले जाएगा ? उन्होंने युवाओं को कहा कि वे लोग संसदीय प्रणाली को समझने के लिए दूरदर्शन भी देखा करें । निर्णायक कपिश दुबे ने कहा कि वक्त बदलाव का है । पैसा ही सब कुछ नहीं होता है , यह आप लोगों को समझना चाहिए ।

प्रतियोगिता का शुभारंभ विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉक्टर प्रकाश गढ़वाल, प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉक्टर एस एल गर्ग, एसजेएमसी की विभागाध्यक्ष डॉ सोनाली नरगुंदे ने किया । अतिथियों का स्वागत कुणाल भंवर , पुनीत चौधरी, दीपक शर्मा, मुरली खंडेलवाल, मनीषा गौर और शफी शेख ने किया । प्रतियोगिता का समापन विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ रेणु जैन ने किया । उनका स्वागत अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता एवं सचिव नेताजी मोहिते ने किया । अभ्यास मंडल की आगामी गतिविधियों की जानकारी माला सिंह ठाकुर ने दी ।

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