इंदौर : गांधी हाल में आयोजित महाराष्ट्र साहित्य सभा के 61वे शारदोत्सव के दूसरे और अंतिम दिन गुणीजनों का सम्मान किया गया। इस वर्ष दिनकर मुजुमदार(कला क्षेत्र),डा.मोहन बान्डे (साहित्यकार), डा श्रीकांत जोग (चिकित्सा क्षेत्र),अभिलाष खांडेकर (पर्यावरण और क्रीड़ा), दीपक नाइक (सामाजिक कार्य) का सम्मान मानपत्र भेंटकर किया गया। शारदोत्सव अध्यक्ष अभिराम भड़कमकर,पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने यह सम्मान प्रदान किया। संगीतकार अशोक पतकी संरक्षक विनय पिंगले,कार्याध्यक्ष संदीप नावलेकर,सचिव हेमंत मुंगी,सभा अध्यक्ष अश्विन खरे,,सचिव प्रफुल्ल कस्तूरे इस दौरान मौजूद रहे।
सप्त सुर माझे की दी गई प्रस्तुति।
गुणीजन सम्मान के बाद ख्यात संगीतकार अशोक पतकी द्वारा सह कलाकारों के साथ ‘सप्त सुर माझे’ की प्रस्तुति दी गई। उनके संगीतबद्ध किए गए गीतों को ऋषिकेश रानडे,माधुरी करमरकर ने शिद्दत से प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया। इस सुरीले कार्यक्रम को सुनने बड़ी तादाद में श्रोता मौजूद रहे। तबले पर प्रभाकर मौसमकर और बोर्ड पर प्रशांत ललित ने संगत की।
प्रारंभ में अतिथि व कलाकारों का स्वागत विनय पिंगले, संदीप नावलेकर,हेमंत मुंगी,अश्विन खरे व प्रफुल्ल कस्तूरे ने किया।निवेदक स्मिता गवानकर थी।।संचालन संगीता नमजोशी ने किया। आभार प्रफुल्ल कस्तूरे ने माना।
अभिराम भड़कमकर के साथ चर्चा सत्र।
इसके पूर्व दूसरे दिन सुबह के सत्र में शारदोत्सव अध्यक्ष साहित्यकार अभिराम भड़कमकर के साथ चर्चा सत्र भी बेहद विचारोत्तेजक रहा। प्रो. सोनाली नरगुंदे और आभा निवसरकर ने श्री भड़कमकर से उनके लेखन, समसामयिक साहित्य और नाट्य परिदृश्य को लेकर कई सवाल किए, जिनके जवाब श्री भड़कमकर ने शिद्दत के साथ दिए। ओटीटी पर नियंत्रण को लेकर पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने इसे गैर जरूरी बताया।उनका मानना था कि सोशल मीडिया के आने से कई लोगों का लेखन, साहित्य,मनोरंजन क्षेत्र में एकाधिकार खत्म हुआ है, ये अच्छी बात है।
चर्चा सत्र के बाद शारदोत्सव के तहत आयोजित विभिन्न स्पर्धाओं के पुरस्कार भी वितरित किए गए।