इंदौर : दूध उत्पादक किसानों को एक बार फिर चपत लगने वाली है। उन्हें माह के तीसरे सप्ताह में दूसरी बार दूध के उत्पादन में प्रति लीटर डेढ़ रुपए के आसपास घाटा उठाना पड़ सकता है।
पहले जो दूध सांची दुग्ध संघ द्वारा लिया जाता था उसका 6 रु प्रति फैट किसानों को मिलता था परंतु इस भाव में कटौती करते हुए 20 पैसे प्रति फैट की कमी सांची दुग्ध संघ द्वारा की गई है।
उदाहरण के तौर पर देखे तो
औसतन भैंस 6 से 7 फैट का दूध देती है। उस हिसाब से प्रति फेट 20 पैसे की कटौती के अनुसार किसान को 1.20 पैसे से 1.40 पैसे प्रति लीटर का सीधा नुकसान होता है। जैसे-जैसे भैंस दूध देते हुए पुरानी होती है, दूध गाढ़ा होता जाता है जिससे फैट तो अधिक आता हैं पर उस समय भेंस दूध कम मात्रा में देती है, जिससे किसान का नुकसान बढ़ जाता है।
अब किसानों से 5.80 पैसे फैट के हिसाब से दूध लिया जाएगा।
दूध उत्पादकों के मुताबिक पशुओं को खिलाने वाली वस्तुओं के भाव आसमान पर हैं जिससे किसानों की दूध उत्पादन की लागत बढ़ती जा रही है, ऐसे में एक बार फिर दूध उत्पादक किसानों के लिए दूध के भाव कम होने से किसानों की मुश्किल बढ़ना लाजमी है। किसानों के लिए दूध का व्यापार घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
इसलिए दूध के भाव कम हुए।
17 मई को सांची दुग्ध संघ इंदौर के अध्यक्ष व संचालक मंडल ने दूध की लाभात्मकता बनाए रखने की शर्त के साथ गाय व भैंस के दूध की खरीदी दर में कमी को लेकर सहमति मांगी थी इस पर प्रबंध संचालक, भोपाल डेयरी फेडरेशन भोपाल द्वारा सहमति प्रदान की गई है। उसके बाद किसानों में दूध के भाव में कमी को लेकर नाराजगी व आक्रोश देखा जा रहा है।
किसान नेता बबलू जाधव ने बताया कि सांची दुग्ध संघ किसानों से जुड़ी संस्था है। किसानों की मेहनत से ही अब तक लाभांश में चल रही है परंतु लगातार किसानों द्वारा उत्पादित दूध के दामों में कमी करना उचित नहीं है। पिछले डेढ़ साल से लगातार दूध, फल ,सब्जी व अनाज के भाव में भारी कमी के चलते किसान बेहाल है। परंतु अब तक शासन द्वारा कोई राहत राशि नहीं दी गई। उल्टा सरकार भी किसानों के हक के पैसे पिछले 2 साल से लेकर बैठी है उन्होंने बताया कि प्याज भावांतर ,सोयाबीन बोनस, गेहूं बोनस के साथ सोयाबीन किट प्रकोप आरबीसी 6 (4)की राहत राशि भी अब तक किसानों को नहीं दी गई है यह राशि जल्द से जल्द दी जाए साथ ही दूध के दामों में फिर से बढ़ोतरी की जाए।