सैकड़ों वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भव्य मंदिर में विराजित हुए राम लला

  
Last Updated:  January 22, 2024 " 07:49 pm"

पीएम मोदी ने विधि विधान के साथ की पूजा – अर्चना।
आरएसएस चीफ मोहन भागवत और सीएम योगी भी रहे मौजूद।

करीब आठ हजार अति विशिष्ट और विशिष्ट हस्तियां भी बनीं इस दिव्य समारोह की प्रत्यक्ष साक्षी।

यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है : पीएम मोदी

अयोध्या : सैकड़ों बरसों के संघर्ष, लाखों लोगों के बलिदान और लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अयोध्या में राम लला आखिरकार टेंट से निकलकर भव्य- दिव्य मंदिर में विराजमान हो गए हैं। पीएम मोदी ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और संत महात्माओं की मौजूदगी में शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा – अर्चना कर राम लला की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न कराई। कार्यक्रम में देशभर की विभिन्न क्षेत्रों की कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की।इनमें अमिताभ बच्चन, मुकेश अंबानी, सचिन तेंडुलकर, बाबा रामदेव, हेमा मालिनी, कंगना रनौत, रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, अडानी, जैकी श्रॉफ, सोनू निगम सहित अनेक वीवीआईपी शामिल थे। पीएम मोदी ने राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद संष्टांग दंडवत किया। उन्होंने कुबेर टीला में भगवान शिव का भी जलाभिषेक किया। बाद में उन्होंने स्वामी गोविंद गिरी देव महाराज के हाथों चरणामृत ग्रहण कर अपना 11 दिन का उपवास खत्म किया।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मौजूद देश – विदेश से आए करीब आठ हजार अति विशिष्ट और विशिष्ट अतिथियों व श्रद्धालुओं को पीएम मोदी ने संबोधित किया। सियावर रामचंद्र की जय का जयकारा लगवाने के साथ अपनी बात रखते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सदियों की प्रतीक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों का अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं। इस शुभ घड़ी की आप सभी को, समस्त देशवासियों को बधाई। मैं गर्भगृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने उपस्थित हुआ हूं।

उन्होंने कहा कि हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। यह क्षण आलौकिक है, पवित्रतम है। यह माहौल, वातावरण, यह घड़ी, प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है।

न्यायबद्ध तरीके से ही बना न्याय के पर्याय प्रभु श्रीराम का मंदिर।

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि दैवीय आशीर्वाद और दिव्य आत्माओं की वजह से यह कार्य पूरा हुआ है। मैं इन सभी दिव्य चेतनाओं को भी नमन करता हूं। मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे।
उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असहनीय था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।

भारत की आत्मा से जुड़े हैं प्रभु श्रीराम।

उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं। हम भारत में कहीं भी किसी की अंतरात्मा को को छुएंगे तो इसी एकत्व की अनुभूति होगी। देश को समायोजित करने वाला इससे उत्कृष्ट सूत्र और क्या हो सकता है।

हमारा भविष्य, अतीत से सुंदर होगा।

पीएम मोदी ने कहा कि यह अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है। दुनिया का इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने इतिहास में उलझ जाते हैं, जब देशों ने उलझी हुई गांठों को खोलने का प्रयास किया तो उन्हें सफलता पाने में कठिनाई आई है। लेकिन हमारे देश ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है। यह बताता है कि हमारा भविष्य, हमारे अतीत से सुंदर होने जा रहा है।

राम विवाद नहीं, समाधान हैं।

उन्होंंने कहा कि वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जानते थे। रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव का प्रतीक है। हम देख रहे हैं कि राम मंदिर निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए, राम आग नहीं हैं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, राम सबके हैं। राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंत हैं।

राम मंदिर राष्ट्र चेतना का मंदिर है।

पीएम मोदी ने कहा कि राम मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है, यह भारत की दृष्टि का, दर्शन का, दिग्दर्शन का मंदिर है। यह राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था हैं, भारत के आधार हैं। राम भारत का विचार है, विधान हैं। चेतना है, चिंतन हैं। प्रतिष्ठा हैं, प्रताप हैं। राम नेकी भी है, नीति भी है। नित्यता भी है, निरंतरता भी हैं। राम व्यापक हैं, विश्व है, विश्वात्मा हैं। जब राम की प्रतिष्ठा होती है तो उसका प्रभाव वर्षों, शताब्दियों तक नहीं होता, हजारों वर्षों के लिए होता है।

कार्यक्रम में आरएसएस चीफ मोहन भागवत और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपने विचार रखे।

कारीगरों पर बरसाए फूल।

पीएम मोदी ने इस अवसर पर राम मंदिर निर्माण में योगदान देने वाले कारीगरों पर फूल बरसाकर उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।

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