इंदौर : होली के पावन अवसर पर अभिनव कला समाज में सात सुरों के रंगो की बहार थी। ’’होली’ के रंग अभिनव के संग’’ कार्यक्रम में डाॅ. पूर्वी निमगांवकर ने रंगारंग संगीत की आकर्षक एवं प्रभावी प्रस्तुतियां दी। संगीत सम्राट तानसेन से लेकर होली की पारंपरिक बंदिशों को सुनकर श्रोता आल्हादित हो उठे।
प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका डाॅ. पूर्वी निमगांवकर ने अपने शिष्यों के साथ सुरों से सजी इस संध्या में ’’तानसेन के पद’’ से सरस्वती आराधना प्रस्तुत की जिसमें संगीत की प्राचीन शैली धु्रपद का अंदाज अत्यंत मधुर था। यह पद राग मारवा में निबद्ध था। इसके बाद डाॅ. पूर्वी ने राग नंद ध्वनि में अपनी गुरू अश्विनी भिडे द्वारा रचित दो बंदिशें सुनाईं। सधी हुई गायकी और ताल के अद्भुद समन्वय के साथ दृत तानों से उन्होंने बंदिशों की प्रस्तुति दी। होरी की कई पारंपरिक बंदिशें गाने के साथ पूर्वी ने राधा कृष्ण की बृज की होली की अति प्रसिद्ध रचना ’’कैसी ये धूम मचाई बृज में हरि होरी रचाई’’ की प्रभावी प्रस्तुति दी। डाॅ. निमगांवकर के शिष्यों ने उनका बखूबी साथ निभाया।
कार्यक्रम की संकल्पना, पटकथा, लेखन, स्वर निर्देशन एवं गायन डाॅ. पूर्वी निमगांवकर का था। आपके साथ सह कलाकार थे, हार्माेनियम पर सुयश राजपूत एवं तबले पर भरत बरोट, सूत्र संचालन- लोकेश निमगांवकर का था। सहभागी शिष्य गण थे-’ शुभाशीष शिलगांवकर, अमान यूखान, यश्विनी भावसार, ईशा सिंह गेहलोत, दक्ष शर्मा, समर्थ शर्मा, तान्या गुप्ता, अन्वी चतुर्वेदी, वाग्मी परिहार, दुर्गेश्वरी बैरागी एवं श्वेता कुशवाह।
प्रारंभ में अभिनव कला समाज के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, डाॅ. पूर्वी निमगांवकर, अभिभाषक आशुतोष निमगांवकर, सत्यकाम शास्त्री, कमल कस्तूरी, आलोक बाजपेयी, सोनाली यादव एवं बंसीलाल लालवानी ने दीप प्रज्ज्वलन किया। कलाकारों का अभिनव कला समाज की ओर से आत्मीय स्वागत किया गया। आभार प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।