अनाथों पर अनवरत ममता लुटाती रही सिंधुताई।

  
Last Updated:  January 5, 2022 " 04:35 pm"

“अनोखी महिला जो थी करुणा की अनंत शक्ति सागर।

मानवता की राह में सतत चलने वाली अद्वितीय शिल्पकार॥

समाहित थी जिसमें पहाड़ों के समान संघर्ष की क्षमता।

कितने अनाथों पर लुटाती रही अनवरत ममता॥

पेट की भूख ने सच का ज्ञान कराया।

सिंधु ताई ने एक नवीन इतिहास रचाया॥

सन्मति बाल निकेतन की ताई ने की शुरुआत।

स्नेह और करुणा की बच्चों पर की बरसात॥

हारना नहीं कभी परिस्थितियों से देती हमें सीख।

अस्वीकार किए जाने पर भी लड़ती रही निर्भीक॥

अनगिनत पुरस्कारों की लगा दी सिंधु ताई ने कतार।

करुणा लुटाने वाली आप तो हो अनाथों के लिए अवतार॥

संघर्षों से जीतकर बनी प्रकाश की निर्माता।

परिस्थितियों से पलायन तो सिंधु ताई को नहीं आता।।

देती संदेश करें सदैव संकट को भी प्रणाम।

मैंने इसी संकट से लड़कर बनाया दिलों में नाम॥

हर बार आँखों में आँखें डालकर विपत्ति से लड़ना होगा।

कहती थी हमेशा गिरना, संभलना और उबरना होगा।।

तुमको खोना तो है ममत्व की अपूरणीय क्षति।

देती ज्ञान की मत करना मेरी जलायी हुई मशाल की ईति॥

जो बार-बार ठोकर खाकर भी उठना सीख जाता।

वह अपने अनुभव से दुनिया को जीत जाता॥

सिंधु ताई ने 1948 में लिया था अवतरण।

अपनी अनूठी प्रतिभा से सिखाया कैसे जीते जीवन का रण॥

74 वर्ष की उम्र में ली ताई ने ली आखरी सांस।

डॉ. रीना कहती, तुम्हारा जीवन तो देता है अंधकार में उजाले की आस॥“`

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

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