इंदौर : शुद्ध पेयजल और परंपरागत जलस्रोतों के संरक्षण की मांग को लेकर जल संसाधन मंत्री के निवास पर धरना देने वाले समाजसेवी किशोर कोडवानी के साथ कलेक्टर ने लम्बी चर्चा की। निगमायुक्त प्रतिभा पाल, निगम के अन्य अधिकारी, पीएचई, टी एंड सीपी और सम्बन्धित विभागों के अधिकारी इस दौरान मौजूद रहे।
कोडवानी ने कलेक्टर को बताया कि दोषपूर्ण जल प्रबंधन के चलते नर्मदा के तीन चरण आने के बावजूद शहर के 45 फीसदी हिस्से को ही पानी मिल रहा है, वह भी एक दिन छोड़कर, 55 फीसदी आबादी बोरिंग का पानी पीने को मजबूर है। कोडवानी का दावा है कि भूजल दूषित होने से लोग बीमार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि नर्मदा का पानी कम दबाव से आने के कारण लोगों को गड्ढे खोदकर पानी भरना पड़ता था, जबकि पहले पानी का प्रेशर इतना होता था कि तीसरी मंजिल तक चढ़ जाता था।
पुराने जल स्रोतों की होगी मैपिंग।
कलेक्टर मनीष सिंह ने किशोर कोडवानी की बात सुनने के बाद अधिकारियों की एक समिति गठित कर दी। यह समिति कोडवानी के साथ जलस्रोतों का भौतिक सत्यापन करने के साथ उनकी मैपिंग भी करेगी।
पांच वार्डों में होगा नर्मदा जल सप्लाय और खपत का सर्वे।
कलेक्टर ने कोडवानी की मांग पर नर्मदा जल की मांग, सप्लाई और खपत की हकीकत के आकलन के लिए 5 वार्डों में सर्वे करने के भी निर्देश दिए। यह सर्वे कोडवानी के ही मार्गदर्शन में होगा। कलेक्टर की पहल के बाद कोडवानी ने अपना धरना आंदोलन समाप्त कर दिया।