संस्कृति – प्रकृति की सितार – संतूर पर लाजवाब प्रस्तुति से हुआ गुनीजान संगीत समारोह का आगाज

  
Last Updated:  February 12, 2023 " 06:05 pm"

इंदौर: ख्यात शास्त्रीय गायक पंडित सीआर व्यास की स्मृति में जाल सभागृह में आयोजित दो दिवसीय ‘गुनीजान संगीत समारोह’ का आगाज शनिवार को हुआ। संस्था पंचम निषाद, इंदौर द्वारा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली और इंडो – थाई सिक्योरिटीज लि. के सहयोग से इस संगीत समारोह का आयोजन किया गया है।

कार्यक्रम का शुभारंभ पदमश्री भालू मोंढे, समाजसेवी मिलिंद दिघे और वामन हरी पेठे ज्वेलर्स के प्रबंधक सचिन सदावर्ते ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मां सरस्वती की आराधना पंचम निषाद के विद्यार्थियों ने पेश की। इसके बाद शुरू हुआ गायन – वादन की सुरमई प्रस्तुतियों का सिलसिला।

संस्कृति – प्रकृति ने पेश की सितार – संतूर की जुगलबंदी।

संगीत समारोह की पहली प्रस्तुति संस्कृति – प्रकृति वहाने के नाम रही। उन्होंने सितार व संतूर की लाजवाब जुगलबंदी पेश की। दोनों ने राग पुरियाधनाश्री में आलाप जोड़ झाला पेश करने के बाद इसी राग गत बजाई। उनके साथ तबले पर रामेंद्र सिंह ने प्रभावी संगत की।

मंजूषा ने पेश किया सुमधुर गायन।

संस्कृति – प्रकृति की दमदार जुगलबंदी के बाद मंच संभाला मंजूषा पाटिल कुलकर्णी ने। उन्होंने अपनी सधी और सुरीली आवाज में राग बिहाग पर आधारित पारंपरिक बंदिश विलंबित एकताल में पेश की। उसके बाद इसी राग में मध्यलय में ‘चूड़ियां बार – बार करकाई’ और ‘बालम रे’ बंदिश सुनाकर श्रोताओं की दाद बटोरी। तराना गाकर अपने गायन को विस्तार देते हुए मंजूषा ने राग सोहोनी में ‘जियरा रे कल नाही परत’ ताल रूपक में पेश की। इसी राग में ‘काहे अब तुम आए हो’ बंदिश गाकर मंजूषा ने भैरवी के साथ अपने गायन का समापन किया। उनके साथ तबले पर प्रशांत पांडव और हारमोनियम पर अभिषेक शिनकर ने संगत की।

अतिथि कलाकारों का स्वागत पद्मश्री भालू मोंढे और शोभा चौधरी ने किया। कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया।

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