(प्रवीण खारीवाल) शुक्रवार का दिन वर्ष का सबसे छोटा दिन रहा। इंदौर में यह दिन सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच केवल 10 घंटे 42 मिनट का रहा। इस सबसे छोटे दिन को प्रकृति ने अपने अनूठे अंदाज में मानो किसी उत्सव की तरह मनाया।
सुबह जब आसमान में बादल छाए रहे, तो सूरज ने आकर उनके बीच अपनी लालिमा फैला दी। इससे नजारा ऐसा बना मानों रुई के फाहों के बीच किसी ने सिंदूरी रोशनी का तिलिस्म रच दिया हो। जे सुबह जल्दी उठते है, उन्होंने इस अद्भुत और अलौकिक दृश्य को देखने का सौभाग्य पाया। धीरे-धीरे सूरज चढ़ गया और आसमान का सिंदूरी रंग पहले घुसर और फिर सफेद रंग में बदल गया। दिन पूरा गुजरा और फिर शाम अपने लाव-लश्कर के साथ चली आई। अब फिर सूरज द्वारा आसमान के ललाट पर रोली-चंदन लगाने का समय था। फिर लालिमा फैली, फिर बादलों ने सिंदूरी रंग ओढ़ा और इस तरह शुक्रवार की शाम मानो इस वर्ष की सबसे सुंदर शाम बन गई। शुक्रवार की सुबह और शाम ने मिलकर इंदौर के ललाट पर जो रंग मला, उसने शहर को आनंद, पविकता और उल्लास से भर दिया। यह दृश्य देख इंदौर का मन स्वतः गुनगुना उठा – ये कौन चित्रकार है…।