विमान हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 275 हुई।
अहमदाबाद : लन्दन के लिए अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही दो मिनट में धराशाई हुए बोइंग विमान हादसे में अपनी जान गंवाने वालों की संख्या 275 तक पहुंच गई है। इनमें विमान में सवार 12 क्रू मेंबर्स, 229 यात्री व बीजे मेडिकल कॉलेज की जिस बिल्डिंग पर विमान गिरकर आग के गोले में तब्दील हो गया, वहां मेस में भोजन कर रहे छात्र, कर्मचारी व अन्य सहित 34 लोग शामिल हैं।08 से ज्यादा एजेंसियां हादसे की जांच में जुटी हैं। ये हादसा कैसे हुआ? क्यों हुआ? टेक्निकल फेल्योर था या मानवीय लापरवाही। इन सभी कसौटियों पर जांच की जा रही है। दुनियाभर के एक्सपर्ट हादसे के कारणों की तलाश कर रहे हैं। इस बीच एयर इंडिया के क्रैश हुए विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है। उसकी जांच की जा रही है।
8 एजेंसियां जांच में जुटी।
भारत, ब्रिटेन और अमेरिका की 08 से ज्यादा एजेंसियां प्लेन क्रैश की जांच में जुटी हैं। BLACK BOX के डेटा का एनालिसिस किया जा रहा है ताकि अहमदाबाद विमान हादसे का सच दुनिया के सामने आ सके। ब्लैक बॉक्स एयर इंडिया के विमान के टेल में मिला है। टेल का वो हिस्सा मेडिकल हॉस्टल के मेस में फंसा था। यह ब्लैक बॉक्स पूरे हादसे का राज खोलेगा।
पायलट ने किया था मेंडे मैसेज।
विमान के पायलट सुमित सभरवाल ने MAYDAY, MAYDAY, MAY DAY मैसेज ATC यानि एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को भेजा था। 4-5 सेकेंड के संदेश में सुमित सभरवाल कह रहे हैं, MAYDAY, MAYDAY, MAYDAY… थ्रस्ट नहीं मिल रहा। पावर कम हो रही है, प्लेन उठ नहीं रहा… नहीं बचेंगे। शायद उन्होंने ज्यादा थ्रस्ट देकर प्रयास किया कि विमान रेजिडेंशियल इलाके से थोड़ा आगे निकल जाए ताकि नुकसान कम हो पर होनी को कौन टाल सकता है।
हादसे के तमाम राज खोलेगा ब्लैक बॉक्स।
ब्लैक बॉक्स की जांच में ही ये सच सामने आएगा कि हादसा कैसे हुआ? लेकिन ये जानना जरुरी है कि ऑरेंज कलर के इस डिवाइस को ब्लैक बॉक्स क्यों कहा जाता है।
ब्लैक बॉक्स, किसी भी विमान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। हादसे का सबसे बड़ा गवाह होता है, जिसमें फ्लाइट का पूरा डेटा रिकॉर्ड किया जाता है। इसलिए क्रैश के बाद इसकी तलाश सबसे पहले होती है। हवाई जहाजों में इस्तेमाल होने वाले ब्लैक बॉक्स को वास्तव में चमकीले नारंगी (ऑरेंज) रंग में बनाया जाता है, लेकिन इसका नाम ‘ब्लैक बॉक्स’ तकनीकि कारणों से पड़ा है। ब्लैक बॉक्स को चमकीले ऑरेंज कलर में इसलिए रंगा जाता है ताकि हादसे के बाद उसे आसानी से खोजा जा सके। ऑरेंज कलर की वजह से पानी, जंगल और रेगिस्तान में भी यह आसानी से दिखाई देता है।
पानी के अंदर भी 30 दिनों तक भेज सकता है सिग्नल।
ये डिवाइस स्टील या टाइटेनियम जैसे मजबूत धातुओं से बना होता है। ये आग, पानी और भारी दबाव को सहन कर सकता है। ऑरेंज कलर का पेंट विशेष रूप से गर्मी और कठोर परिस्थितियों में टिकने वाला होता है। ब्लैक बॉक्स में एक बीकन होता है, जो पानी में भी 30 दिनों तक सिग्नल भेजता है। डिवाइस का ऑरेंज कलर इसे समुद्र के अंदर ढूंढने में मदद करता है।
ब्लैक बॉक्स का पहला हिस्सा कहलाता है FDR
ब्लैक बॉक्स के दो मुख्य हिस्से होते हैं। पहला फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर है, जिसे FDR के नाम से जाना जाता है। यह उड़ान से संबंधित तकनीकि जानकारी रिकॉर्ड करता है। इसमें विमान की गति, ऊंचाई, दिशा, इंजन का प्रदर्शन, विमान पायलट द्वारा नियंत्रण सतहों की स्थिति का पता लगाया जाता है।
ब्लैक बॉक्स का दूसरा हिस्सा कहलाता है CVR।
ब्लैकबॉक्स का दूसरा हिस्सा कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर है। इसे CVR के नाम से जाना जाता है। यह कॉकपिट में होने वाली बातचीत और ध्वनियों को रिकॉर्ड करता है। इसमें पायलटों की आपसी बातचीत रिकॉर्ड होती है।
पायलट केबिन की सभी आवाज को करता है रिकॉर्ड।
पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के बीच हुई बातचीत सीवीआर में रिकॉर्ड होती है। कॉकपिट में मौजूद अन्य ध्वनियां (जैसे अलार्म या इंजन की आवाज) रिकॉर्ड होती है। यह आमतौर पर आखिरी 2 घंटे की रिकॉर्डिंग रखता है। पुरानी रिकॉर्डिंग अपने आप मिटती जाती है।
ब्लैक बॉक्स की जांच में अमेरिका और ब्रिटेन की जांच टीमें भी जुटी हुई हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर ब्लैक बॉक्स की जांच इंडिया में हुई तो रिपोर्ट 4 से पांच दिनों में आ जाएगी। अगर इसे जांच के लिए अमेरिका ले जाया गया, क्योंकि बोइंग और GE का हेडक्वार्टर अमेरिका में है। ऐसे में जांच रिपोर्ट आने में 15 दिन भी लग सकते हैं।