इंदौर: तनुश्री दत्ता द्वारा अभिनेता नाना पाटेकर पर लगाए गए आरोपों के बाद #ME TOO के जरिये नामी- गिरामी लोगों के खिलाफ छेड़छाड़ और यौन प्रताड़ना के आरोपों का सिलसिला चल पड़ा है। इसी के साथ इसके पक्ष- विपक्ष में तर्क- वितर्क भी शुरू हो गए हैं। इंदौर में वुमेन्स प्रेस क्लब ने इसपर सार्थक बहस का आयोजन किया। ‘ कब तक सहें..#ME TOO ‘ को लेकर छिड़ी इस बहस में कई महिला और पुरुष वक्ताओं ने अपने विचार रखे। डॉ. दिव्या गुप्ता, प्रो. प्रतीक श्रीवास्तव, इंदौर प्रेस क्लब के महासचिव नवनीत शुक्ला, पल्लवी शुक्ला, स्वाति मेहता, मीना कौरव और आभा निगम ने बहस में भाग लेते हुए #METOO के अच्छे- बुरे पहलुओं पर अपनी बात रखी। ज्यादातर वक्ताओं का कहना था कि घटना के15-20 साल बाद इसतरह बात का बतंगड़ बनाकर किसी को बदनाम करना ठीक नहीं है। वक़्त रहते ही आवाज उठाई जानी चाहिए। कैम्पेन की कानूनी वैधता पर सवाल उठाए गए वहीं इसके परिवार और समाज पर होनेवाले दुष्परिणामों को लेकर भी आगाह किया गया। वक्ताओं का ये भी कहना था कि यह कैम्पेन महिलाओं के आगे बढ़ने के अवसरों पर ब्रेक लगा सकता है। हालांकि कुछ वक्ताओं ने कैम्पेन का जोरदार बचाव करते हुए इसे महिलाओं में आई जागरूकता का परिणाम बताया । कार्यक्रम में सवाल- जवाब का दौर भी चला।
वुमेन्स प्रेस क्लब की ओर से शीतल राय ने विषय की प्रस्तावना रखी और अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया।
#Me Too पर सार्थक बहस
Last Updated: October 13, 2018 " 12:05 pm"
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