इंदौर : अवैध शराब, ड्रग, खनन और भू माफिया के खिलाफ की जा रही कार्रवाई में अब राशन माफिया भी जुड़ गया है। कलेक्टर मनीष सिंह ने मंगलवार को प्रेस वार्ता के जरिए राशन माफिया को लेकर बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि राशन माफिया 51 हजार से ज्यादा गरीबों (हितग्राहियों) का ढाई लाख किलो राशन डकार गया, जिसकी कीमत 79 लाख रुपए से ज्यादा है। इस मामले में जांच के बाद कुल 31 लोगों को आरोपी बनाया गया है। राशन माफिया भरत दवे, जो राशन दुकान संघ का अध्यक्ष है, उसका निकटतम सहयोगी श्याम दवे और प्रमोद दहिगुडे के खिलाफ रासुका की कार्रवाई भी की जा रही है। राशन माफिया के साथ मिलीभगत कर गरीब हितग्राहियों को राशन से वंचित रखने वाले प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा के खिलाफ भी आईपीसी की धारा 120 बी के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जा रहा है। उन्हें पिछले दिनों निलंबित कर अलीराजपुर अटैच किया गया है।
इन योजनाओं के राशन में किया गया घोटाला।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि पात्र गरीब परिवारों को मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के तहत प्रतिमाह प्रति सदस्य 5 किलो राशन (4 किलो गेहूं, 1किलो चांवल)और 1 किलो नमक दिया जाता है। अनाज और नमक एक रुपए प्रति किलो की दर से दिया जाता है। अति गरीब परिवारों को अंत्योदय अन्न योजना के तहत 35 किलो राशन दिया जाता है जिसमें गेंहूँ, चांवल,व मोटा अनाज 1रुपए किलो, नमक 1 रुपए किलो और प्रति परिवार 1किलो शकर बीस रुपये किलो की दर से दी जाती है। केरोसिन प्रति परिवार शासन द्वारा निर्धारित मात्रा व दर पर दिया जाता है। कोरोना के चलते इंदौर जिले में 42 हजार परिवारों के लिए अप्रैल 2020 में खाद्यान्न आवंटन प्राप्त हुआ था। इसी तरह अप्रैल से नवम्बर 2020 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत केंद्र सरकार से गेंहू, चांवल प्राप्त हुआ था, जिसे मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के हितग्राहियों को प्रति सदस्य 5 किलो के मान से निःशुल्क वितरित किया जाना था। इस तरह अप्रैल से नवम्बर तक पात्र हितग्राहियों को दुगुना राशन मिलना था, जिससे उन्हें वंचित रखा गया।
12 दुकानों की जांच में उजागर हुआ घोटाला।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि राशन दुकान संघ का अध्यक्ष भरत दवे और प्रमोद दहिगुडे के संरक्षण में उनके सहयोगियों व रिश्तेदारों द्वारा संचालित शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के खिलाफ राशन नहीं देने या कम देने की शिकायतें लगातार मिल रहीं थीं। इस पर ऐसी 12 दुकानों को चिन्हित किया गया। एसडीएम की अगुवाई में दल गठित कर इन दुकानों के रिकॉर्ड चेक किये गए। रिकॉर्ड व पीओएस मशीनों के साथ राशन सामग्री का भौतिक सत्यापन किये जाने पर स्टॉक में कमीं/जमाखोरी सहित अन्य अनियमितताएं उजागर हो गई। इस दौरान पाया गया कि कुल 2 लाख 55 हजार 480 किलो खाद्यान्न का गबन किया गया जिससे प्रति व्यक्ति 5 किलो के मान से 51096 गरीब हितग्राही कोरोना जैसी विपदा के समय राशन से वंचित रह गए। गबन किए अनाज का मूल्य 79 लाख 4 हजार 479 रुपए बताया गया।
इसीतरह केरोसिन, नमक, शकर, चना, चना दाल, तुवर दाल में भी गबन किया गया।
कलेक्टर ने बताया कि दुकान संचालकों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि पर्दे के पीछे से भरत दवे ही इन दुकानों का कर्ताधर्ता बना हुआ था। वह गरीबों का राशन हडपकर उसे अधिक कीमत पर खुले बाजार में बेच देता था। उसके कई रिश्तेदारों व परिचितों के नाम पर ये दुकानें संचालित की जा रही थीं। प्राथमिक उपभोक्ता सहकारी समिति का उपाध्यक्ष श्याम दवे भी अनाज की कालाबाजारी में भरत दवे का निकटतम सहयोगी रहा है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि प्रमोद दहिगुडे खुद तीन उचित मूल्य की दुकानों का संचालन करता था। उसने भी गरीबों के राशन को बाजार में बेचकर पैसा कमाया।
आरसी मीणा की पाई गई लिप्तता।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि जांच के दौरान तत्कालीन प्रभारी खाद्य नियंत्रक आरसी मीणा की राशन माफिया के साथ सांठगांठ उजागर हुई। वह अधीनस्थ अधिकारियों को जांच करने से रोकने के साथ उनका भविष्य खराब करने की धमकी देता था। इसके चलते 13 जनवरी को संभागायुक्त ने मीणा को निलंबित कर अलीराजपुर में अटैच कर दिया। उसी के बाद जांच में तेजी आई और अंजाम तक पहुंची।आरसी मीणा के खिलाफ आईपीसी की धारा 120- बी के तहत प्रकरण दर्ज किया जा रहा है।
भरत दवे सहित तीन पर रासुका।
कलेक्टर के मुताबिक राशन घोटाले से जुड़े कुल 31लोगों को आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3/7, आईपीसी की धारा 420, 409 और 120- बी के तहत आरोपी बनाया गया है। राशन माफिया सरगना भरत दवे, श्याम दवे और प्रमोद दहिगुडे के खिलाफ रासुका की कार्रवाई भी की जा रही है। कलेक्टर के मुताबिक उन खरीददारों की भी पहचान की जा रही है जिन्होंने गरीबों का अनाज राशन माफिया से खरीदकर उससे लाभ कमाया।