अयोध्या विवाद पर आया सुप्रीम फैसला, विवादित जमीन रामलला की

  
Last Updated:  November 9, 2019 " 11:01 am"

नई दिल्ली : अयोध्या विवाद का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को दे दिया है। सर्वोच्च अदालत ने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड का जमीन पर दावा नहीं माना। हालांकि उसने सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को वैकल्पिक जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को ही मामले का मुख्य पक्षकार माना। शिया वक़्फ़ बोर्ड व निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज कर दिया गया। सुप्रीम अदालत ने केंद्र सरकार को आदेशित किया है कि वह 3 माह में ट्रस्ट बनाकर मन्दिर निर्माण के नियम बनाए। ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा को प्रतिनिधित्व देने की बात भी अदालत ने कही।

एएसआई की रिपोर्ट को दी मान्यता।

सुप्रीम कोर्ट ने पुरातत्व विभाग द्वारा विवादित स्थान को लेकर पेश रिपोर्ट को कानूनी मान्यता दी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नही बनी थी। ढांचे के नीचे जो संरचना और कलाकृतियां मिली वो इस्लामिक नहीं थी।

सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड साबित नहीं कर पाया दावा।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ था इस बात को लेकर कोई विरोध नहीं था। विवादित स्थान पर हिन्दू समुदाय सदियों से पूजा व परिक्रमा करता आ रहा है। रामलला विराजमान ने ऐतिहासिक ग्रंथों के संदर्भ भी सामने रखे। हिन्दू पक्ष ढांचे के अंदर भी पूजा करता रहा है। बाद में अंग्रेजों ने हिंदुओं के अंदर पूजा करने पर रोक लगाते हुए वहां रेलिंग लगा दी। इसपर हिन्दू रेलिंग के बाहर से पूजा करने लगे। चबूतरा, भण्डारे और सीता की रसोई से भी इस बात की पुष्टि होती है। हिन्दू ,ढांचे के गुम्बद के नीचे ही प्रभु श्रीराम का जन्मस्थान मानते थे। कोर्ट का कहना था कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर अपना दावा सिद्ध नहीं कर पाया। गवाहों के प्रति परीक्षण में भी हिंदुओं का दावा गलत साबित नहीं हुआ। 1856- 57 तक वहां नमाज पढ़ने के भी सबूत नहीं मिले।

इस संवैधानिक पीठ ने दिया फैसला।

राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाली 5 जजों की संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल थे।

40 दिन तक चली थी सुनवाई।

अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लगातार 40 दिनों तक सुनवाई की थी। इस दौरान मामले से जुड़े सभी पक्षकारों को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया गया था।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *