‘चाँद के पार चलो’ नाटक ने कैदियों को ठहाके लगाने पर किया मजबूर

  
Last Updated:  February 17, 2020 " 02:12 pm"

इंदौर : महाराजा शिवाजी राव हायर सेकंडरी स्कूल के पूर्व छात्रों द्वारा हिन्दी नाटक *”चाँद के पार चलों” *The Pain Of Moon* का मंचन सेंट्रल जेल परिसर में किया गया। जेल स्टॉफ, उप जेल अधीक्षक श्री भदौरिया व सैकड़ों कैदियों की मौजूदगी में मंचित इस नाटक ने सभी को तनावमुक्त होकर हंसने- गुदगुदाने का मौका दिया। नाटक में महाराजा शिवाजी राव स्कूल के 20-25 वर्ष पुराने छात्र सोम मंगल बुध गुरु, शुक्र, सनी, रवि जैसे साप्ताहिक नामों के साथ ज़िंदगी और जिम्मेदारी के तनाव से भटके हुए युवाओं की भूमिका में नज़र आये। एक घन्टे की अवधि वाले इस कॉमेडी नाटक की कहानी 35-40 की उम्र पार चुके युवाओं की थी, जो रोज़-रोज़ के संघर्ष और तनावयुक्त जिम्मेदारियों से भरी ज़िन्दगी से मुक्ति पाकर स्वच्छंद तरीके से ऐश और आज़ादी की ज़िंदगी जीने के लिये चाँद पर जाना चाहते हैं।वहां पहुंचने में इनकी मदद करते हैं भगवान भोलेनाथ। चाँद पर पहुंचने के बाद धर्म, विज्ञान, राष्ट्रप्रेम, राजनीति, हिंसा, अपराध, क्षणिक आवेश, नशा, मानवता, इंसानियत सहित खुद के ग़म और दुनिया के अहम जैसे तमाम विषयों पर हास्यास्पद चर्चा एवं बहस चलती है। इस बीच चाँद पर चाँद (एक लड़की) के अचानक प्रवेश के बाद यह कहानी रोचक मोड़ लेती है, जब चाँद इनसे खुद का दर्द बयां करता है, कि कैसे मानव उसका शत्रु है..नीचे किस तरह चाँद और मंगल पर दुनिया बसाने के लिये प्रयोगों की होड़ मची है ताकि चाँद और मंगल पर सबसे पहले पहुंचकर अपना अधिकार और कब्ज़ा जमाया जा सके। कुछ सक्षम सपन्न ताकतवर देशों में रेस लगी है। जबकि 50 साल पहले 100 करोड़ डॉलर खर्चकर अमेरिका आज भी खाली हाथ है। नशामुक्त, हिंसामुक्त समाज का निर्माण, जिम्मेदार नागरिक-इंसान बनने के साथ ही मानवता, इंसानियत, पृथ्वी,प्रकृति को बचाने के संदेश के अलावा सौरमंडल के तमाम ग्रहों पर हो रहे अत्यधिक प्रयोगों और विकास के नाम पर विनाश का विरोध कर प्रकृति को उसके मूल स्वरूप में रखें जाने का समर्थन करते हुए नाटक खत्म होता है। नाटक में सौरमंडल के तमाम ग्रहों पर हो रहे शोध, प्रयोग, मानवों की दुनिया बसाने के दावों का चांद के दृष्टिकोण से अलग ही नज़रिया(दर्द) प्रस्तुत किया गया है। नाटक का लेखन एवं निर्देशन अजय सरोज़ यादव ने किया। नाटक में सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, सनी, भोलेनाथ, चाँद एवं बार बॉय की भूमिका में क्रमशः आकाश कुशवाह, प्रवीण केलोनिया, केतन शर्मा, नीरज तिवारी, सूरज सुनहरे, अमित यादव, जीवन कनेरिया, अंकिता केशव एवं अंकित केलोनिया थे। संगीत नितिन कुशवाह व आकाश वर्मा का था। प्रकाश संयोजन की जिम्मेदारी मुकेश लिखार ने निभाई। नाटक के बाद उप जेल अधीक्षक श्री भदौरिया ने महाराजा बॉइज ग्रुप के कलाकारों का सम्मान करते हुए कहा कि आपके नाटक ने तमाम कैदियों को इतना हंसाया, इतना जबरदस्त मनोरंजन किया कि वो खुद के दर्द, तनाव, परेशानी को कुछ देर के लिये भूल गए। उप जेल अधीक्षक ने महाराजा बॉइज ग्रुप को हर दो महीने में एक नाटक के मंचन का न्योता भी दिया।1877 की निर्मित सेंट्रल जेल में अपनी तरह का यह पहला नाट्य प्रयोग था, जो सफल रहा।

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