पीड़ित मानवता की सेवा का अनुपम उदाहरण पेश कर रहें समाजसेवी संगठन..

  
Last Updated:  May 15, 2020 " 11:49 am"

इंदौर :(राजेन्द्र कोपरगांवकर) कोरोना महामारी ने जबसे देश और दुनिया में पैर पसारें हैं, इंदौर भी इसकी चपेट में आ गया है। रेड जोन में होने के कारण लॉकडाउन व कर्फ्यू के साथ कड़े प्रतिबंधों की मार झेल रहे इस शहर में बीते 51 दिनों से सन्नाटा पसरा हुआ है। मप्र की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इस शहर में तमाम आर्थिक गतिविधियां ठप हैं। कल कारखाने, बाजार, मॉल्स, सिनेमाघर, लोकल ट्रांसपोर्ट, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस अड्डा, सबकुछ बन्द है। लोग अपने- अपने घरों में कैद है पर सबसे अच्छी बात है यहां के लोगों का पीड़ित मानवता के प्रति सेवा का जज्बा।

इंदौर में कोई भूखा नहीं सोता।

लॉकडाउन के चलते गरीब, दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चलाने वाले, सब्जी बेचने वाले कल कारखानों में काम करने वाले लाखों लोगों के समक्ष पेट भरने का संकट खड़ा हो गया था पर मां अहिल्या की इस नगरी के संस्कार ही कुछ ऐसे हैं कि यहां कोई भूखा नहीं सोता। स्वच्छता में देशभर में नम्बर वन रहे इस शहर के सेवाभावी लोग और सामाजिक संगठनों ने मोर्चा संभाला। उन्होंने भोजन बनवाकर पैकेट के जरिए गरीब बस्तियों, निराश्रितों और बेघरबारों को बांटना शुरू किया। धीरे- धीरे ये कारवाँ लम्बा होता गया। सामाजिक संगठनों के साथ औद्योगिक, व्यापारिक और सेवाभावी संगठन और जनप्रतिनिधि भी भूखों को रोटी खिलाने मैदान में उतर गए। व्यक्तिगत स्तर पर भी लोग अपनी- अपनी क्षमता के अनुसार गरीबों, मजदूरों और बेसहारों की मदद में जुट गए। कोई चाय बिस्कुट बांट रहा था तो कोई नाश्ते के पैकेट वितरित कर रहा था।

घर – घर पहुंचाया राशन..

बात सिर्फ भोजन के पैकेट बांटने तक ही सीमित नहीं रही। लॉकडाउन को लंबा खींचते देख विभिन्न समाजों से जुड़े संगठनों ने राशन बांटने का काम हाथों में लिया। आटा, दाल, चांवल, तेल और अन्य सामग्री के पैकेट जरूरतमंदों के घर- घर पहुंचाए जाने लगे। सब्जी बेचने पर रोक लगाई गई थी तो आलू- प्याज राशन के साथ दिया जाने लगा।

प्रशासन भी उतरा मैदान में।

सामाजिक, व्यापारिक संगठन अपने स्तर पर अलग- अलग क्षेत्रों में जाकर भोजन व राशन के पैकेट बांट रहे थे पर 35 लाख की जनसंख्या वाले शहर में और बड़े स्तर पर प्रयासों की जरूरत थी इस बात को देखते हुए जिला प्रशासन ने भी इस दिशा में पहल की। कलेक्टर मनीष सिंह और तत्कालीन निगमायुक्त आशीष सिंह ने सेवा कार्य में लगे संगठनों के साथ मिलकर भोजन व राशन के पैकेट वितरण की विस्तृत कार्ययोजना बनाई। इसमें पुलिस व अन्य विभागों के साथ जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया गया। दानदाताओं की मदद से राशन व भोजन के पैकेट निगमकर्मियों और सेवाभावी संगठनों के जरिये सुनियोजित तरीके से जरूरतमंदों तक पहुंचाए जाने लगे।यह प्रयोग सफल रहा और लगभग हर जरूरतमंद तक भोजन व राशन पहुंचने लगा। अभी भी ये सिलसिला अनवरत चल रहा है।

महाकाल की सेना ने पीड़ित मानवता की सेवा का रचा इतिहास।

महाकाल के परम भक्त अंकुर जायसवाल जो पेशे से पत्रकार हैं ने महाकाल भक्तों का समूह बनाकर कोरोना के इस संकटकाल में पीड़ित मानवता की सेवा का बीड़ा उठाया। प्रतिदिन वे और उनके साथी 3 से 4 हजार भोजन के पैकेट जरूरतमंदों में बांट रहे हैं। अबतक वे डेढ़ लाख से अधिक भोजन के पैकेट बांट चुके हैं। यही नहीं पत्रकार साथियों और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व वेब मीडिया में काम करने वाले अन्य कर्मचारियों को वे हजारों राशन के पैकेट भी वितरित कर चुके हैं।

कैलाश विजयवर्गीय व उनकी टीम भी डटी है मैदान में।

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, आकाश विजयवर्गीय और उनकी टीम भी पूरे मनोयोग से मैदान में डटी हुई है। वे जरूरतमंदों को राशन, भोजन व जरूरत की अन्य वस्तुएं भी मुहैया करा रहे हैं।

ये जनप्रतिनिधि व संगठन हैं सक्रिय।

पीड़ित मानवता की सेवा में शहर के कई अन्य जनप्रतिनिधि भी लगातार जुटे हुए हैं, इनमें सांसद शंकर लालवानी, विधायक महेंद्र हार्डिया, संजय शुक्ला, जीतू पटवारी, पूर्व आईडीए अध्यक्ष मधु वर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि शामिल हैं। इसी तरह सेवा भारती, विश्व संवाद केंद्र, बालाजी सेवा संगठन,अग्रवाल, माहेश्वरी,जैन, ब्राह्मण, राजपूत, सिख और अन्य समाजों से जुड़े संगठन भी लगातार गरीबों और वंचितों की सेवा में जुटे हैं।

कुल मिलाकर कोरोना के इस अभूतपूर्व संकटकाल में मानव सेवा का जो जज्बा इंदौर के बाशिंदों ने दिखाया है, उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है।प्रशासन के साथ तालमेल बिठाते हुए जरूरतमंदों तक किसतरह मदद पहुंचाई जा सकती है, इसका ये बिरला उदाहरण है। देश के अन्य शहरों और राज्यों के लिए भी ये मानवता की सेवा का अनुकरणीय मॉडल है।

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