नई दिल्ली : भारत सरकार, नई दिल्ली के आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने इस वर्ष के स्वच्छता सर्वे के परिणाम घोषित कर दिए है। शनिवार को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की मौजूदगी में आयोजित कार्यक्रम में इन्दौर को पुनः देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का ऐलान किया गया। राष्ट्रपति के हाथों इन्दौर शहर के नागरीकों की ओर से ये पुरस्कार नगरीय प्रशासन मंत्री भुपेन्द्र सिंह, इन्दौर के सांसद शंकर लालवानी और आयुक्त नगर निगम प्रतिभा पाल ने प्राप्त किया। इस मौके पर संभागायुक्त पवन शर्मा एवं कलेक्टर इन्दौर मनीष सिंह भी उपस्थित थे। इसी प्रकार नगर निगम इन्दौर ने एक और उपलब्धि हांसिल करते हुए सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज में भी देश का प्रथम शहर होने का गौरव प्राप्त किया। यह पुरस्कार भी राष्ट्रपति द्वारा इन्दौर नगर निगम को प्रदान किया गया।
2017 से इंदौर बना हुआ है नम्बर वन।
बता दें कि इन्दौर शहर को देश के सबसे स्वच्छ शहर होने का गौरव पहली बार वर्ष 2017 में प्राप्त हुआ था, वर्ष 2016, 2017 एवं 2018 में इन्दौर नगर निगम द्वारा शहर के नागरिकों के सहयोग से घर-घर कचरा कलेक्शन, गीला-सूखे कचरे को पृथक करना, सैनिटेशन के तहत टॉयलेट एवं यूरिनल का निर्माण और गीले-सूखे कचरे की शत-प्रतिशत प्रोसेसिंग सुनिश्चित की गई थी। इन्दौर के जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, रहवासी एवं बाजार एसोसिएशन, अन्य नागरीकों, मीडिया साथियों, नगर निगम इन्दौर के सफाई कर्मियों और अन्य अधिकारियों, कर्मचारियों के सहयोग से वृहद जागरूकता अभियान इन्ही 3 वर्षो में चलाया गया था।
इन वर्षो में ही घर-घर से कचरा कलेक्शन एवं परिवहन को लेकर विभिन्न अधोसंरचनाएं एवं प्रक्रियाएं स्थापित की गई ताकि शहर में स्वच्छता की आदत स्थाई रूप ले सके। वर्ष 2018 एवं 2019 में इन्दौर नगर निगम द्वारा देवगुराडि़या स्थित ट्रेंचिंग ग्राउंड के पुराने पडे लेगेसी वेस्ट के बायो रेमेडाइजेशन पर कार्य किया गया जिससे देवगुराडि़या ट्रेचिंग वर्तमान में पूर्ण रूप से स्वच्छ क्षेत्र के रूप में जाना जाने लगा है। वर्ष 2020-21 में केन्द्र सरकार के स्वच्छता मापदण्डों के तहत इन्दौर नगर निगम द्वारा शहर को वाटर प्लस के रूप में प्रथम शहर का खिताब प्राप्त हुआ। इन्दौर शहर वाटर प्लस के रूप में घोषित हो जाने से इसका सीधा लाभ शहरवासियों के स्वास्थ्य पर पड़ा है, क्योंकि सीवरेज का गंदा पानी का भूजल पर मिलना जहां एक और रूका है, वहीं दूसरी ओर घरों का एवं संस्थानों का प्रदूषित गंदा पानी भी भू-तल पर स्थित नदी-नालों एवं तालाबों में मिलना बंद हुआ है।