ईसाई समाज ने नगर निगम पर लगाया कब्रिस्तान की जमीन हड़पने का आरोप, किया प्रदर्शन

  
Last Updated:  July 25, 2022 " 07:26 pm"

इंदौर : आम लोगों के अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को अंजाम देने वाले नगर निगम पर ही ईसाई कब्रिस्तान की भूमि हड़पने के आरोप लग रहे हैं। यह आरोप कोई और नहीं समग्र ईसाई समाज ही लगा रहा है। समाज के पदाधिकारियों का कहना है कि नगर निगम ने अस्थाई कचरा संग्रहण केन्द्र बनाने के नाम पर पलासियाहाना कंचनबाग स्थित उनके कब्रिस्तान की आधे से अधिक भूमि पर अवैध कब्जा जमाकर स्थायी निर्माण कर लिया है। यही नहीं जिला प्रशासन भी नगर निगम के साथ मिलकर कब्रिस्तान की भूमि खसरा नंबर 186/1, 186/2, और 187 के नामांतरण का प्रयास कर रहा है, जो पूरी तरह अवैध है।

इसके खिलाफ आवाज उठाते हुए ईसाई समाज के विभिन्न चर्चों और संगठनों ने मिलकर कब्रिस्तान बचाओ समिति का गठन किया है। इस समिति के बैनर तले प्रेसवार्ता आयोजित करने के साथ ईसाई समाज के लोगों ने कब्रिस्तान के सामने खड़े होकर प्रदर्शन किया और नगर निगम के अवैध कब्जे के खिलाफ नारेबाजी की।

होलकर महाराजा ने दी थी कब्रस्तान के लिए जमीन।

समाज के पदाधिकारियों के मुताबिक 1892 में तत्कालीन होलकर महाराजा ने 1/2 रूपए प्रति बीघा, प्रति वर्ष के लगान पर पलासियाहाना में भूमि का आवंटन ईसाई समाज को कब्रिस्तान के लिए किया था। वर्ष 1925- 26 के मिसल बंदोबस्त और आजादी के बाद 1958-59 के राजस्व रिकॉर्ड में भी यह भूमि खसरा क्रमांक 186/1, 186/2 और 187 कब्रिस्तान के रूप में दर्ज है।

1931 तक होता रहा कब्रिस्तान का उपयोग।

ईसाई समाज के पदाधिकारियों के अनुसार 1892 से 1931 तक इस कब्रिस्तान में शवों को दफनाया जाता रहा। प्लेग की महामारी में मृत सैनिकों के शव यहां दफनाएं जाने के बाद तत्कालीन चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर इसका उपयोग अगले 100 तक के लिए बंद कर दिया गया ताकि महामारी का प्रकोप फिर से न फैले। यह अवधि 2031 में समाप्त होगी। नगर निगम ने अवैध कब्जा करते समय इस बात का भी ध्यान नहीं रखा।

ईसाई समाज ने कभी बटांकन नहीं करवाया।

समाज के प्रतिनिधियों का यह भी कहना है कि कब्रिस्तान की भूमि का ईसाई समाज ने कभी भी बटांकन नहीं करवाया, बावजूद इसके, अवैध रूप से बटांकन कर नजूल के नाम चढ़ा दी गई जबकि मप्र लैंड रेवेन्यू कोड ही 1959 में लागू हुआ।

हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी माना भूमि का उपयोग कब्रिस्तान के लिए है।

कब्रिस्तान बचाओ समिति के मुताबिक 1990-91 में कुछ लोगों ने कब्रिस्तान की भूमि को अवैध रूप से बेचने का प्रयास किया था, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में इस खसरा भूमि के कब्रिस्तान के रूप में ही उपयोग सुनिश्चित किया था। जिला प्रशासन और नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना की है।

आपत्तियों का नहीं किया निराकरण।

समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि वर्ष 2017 में तत्कालीन कलेक्टर ने कब्रिस्तान की भूमि का उपयोग बदलकर इसे स्वच्छता भारत अभियान हेतु नगर निगम को आवंटित करने संबंधी सूचना जारी की। इसको लेकर आपत्तियां बुलवाई गई थी। ईसाई समाज की ओर से फादर आशीष मसीह ने आपत्ति दर्ज करवाई थी, जिसका निराकरण आज तक नहीं किया गया। भूमि का कब्जा अवैधानिक रूप से नगर निगम को सौंप दिया गया। नगर निगम को यह भूमि कचरा डंपिंग यार्ड के लिए आवंटित करते हुए शर्त रखी गई थी कि यहां स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकता, फिर भी नगर निगम ने कब्रों को जमीदोज कर यहां पक्का निर्माण कर लिया। सीएमएचओ ने कब्रिस्तान में दफनाए गए शवों को लेकर दी गई अपनी रिपोर्ट में यहां गहरी खुदाई नहीं करने का उल्लेख किया था, उस रिपोर्ट को भी दरकिनार कर दिया गया।

कब्रिस्तान की भूमि का उपयोग नहीं बदला जा सकता।

ईसाई समाज के प्रतिनिधियों के अनुसार कब्रिस्तान की भूमि का उपयोग नहीं बदला जा सकता, यही नहीं इस भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण भी नहीं किया जा सकता। इस बारे में ग्वालियर पारसी समाज अंजुमन विरुद्ध स्टेट ऑफ एमपी 2011 के मामले में निर्णय दिया गया है कि बगैर पारसी समाज को सूचना दिए भूमि का आवंटन नहीं किया जा सकता। इंदौर के पलासियाहाना कंचनबाग स्थित कब्रिस्तान की भूमि के आवंटन को लेकर जिला प्रशासन ने ईसाई समाज को न कोई पत्र दिया और न ही समाज के प्रतिनिधियों से चर्चा की। बाले – बाले ही कब्रिस्तान की जमीन नगर निगम, इंदौर को आवंटित कर दी गई।

शिकायतों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई।

ईसाई समाज का ये भी कहना है कि उन्होंने राज्यपाल, मप्र के मुख्यमंत्री, अल्पसंख्यक आयोग, संभागायुक्त और इंदौर कलेक्टर को इस मामले में शिकायत की थी। अल्पसंख्यक आयोग और नगरीय प्रशासन विभाग ने इन शिकायतों पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर इंदौर को पत्र लिखे थे लेकिन उनपर आजतक कोई एक्शन नहीं लिया गया।

समाज के लोगों ने किया प्रदर्शन।

प्रेस वार्ता में अपनी बात कहने के बाद ईसाई समाज के लोग कब्रिस्तान के सामने पहुंचे और हाथों में बैनर व तख्तियां लिए नगर निगम के खिलाफ प्रदर्शन किया। वे कब्रिस्तान की भूमि से नगर निगम का कब्जा हटाने की मांग कर रहे थे। ईसाई समाज के प्रतिनिधियों के अनुसार वे इस मामले में जल्दी ही हाईकोर्ट की शरण लेंगे।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *