कम्पनीज एक्ट और ऑडिट रिपोर्टिंग के प्रावधानों पर सेमिनार

  
Last Updated:  May 21, 2022 " 06:16 pm"

इंदौर : टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन एवं इंदौर सीए शाखा द्वारा कम्पनीज एक्ट के महत्वपूर्ण प्रावधानों एवं ऑडिट रिपोर्टिग प्रावधानों पर सेमीनार का आयोजन टीपीए हाल में किया गया।
सीएस डी.के. जैन ने कम्पनीज रूल्स 2014 में हुए परिवर्तनों के बारे में बताया कि अब कम्पनी कानूनों का समय पर अनुपालन अनिवार्य हो गया है। यदि दो या अधिक बार नॉन कम्प्लायंस होता है; तो कंपनी को हायर पेनल्टी वहन करना पड़ सकती है l उन्होंने कहा कि कम्पनीज एक्ट 2013 के शेड्यूल 3 जो फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स तैयार करने से सम्बंधित हैं, में काफी अमेंडमेंटस हुए हैं। ये संशोधन वित्तीय वर्ष 2021-22 से लागू हो गए हैं जिसमें नए डिस्क्लोज़र नॉर्म्स लागू किए गए हैंl कंपनी ऑडिटर को इन सभी डिस्क्लोज़र नॉर्म्स को अपनी रिपोर्ट में उल्लेखित करना आवश्यक है l उन्होंने कहा कि इन नए डिस्क्लोज़र नॉर्म्स से कम्पनी के इन्वेस्टर्स, बैंक एवं फाइनेंसियल इंस्टीट्यूशन्स को कंपनी के सम्बन्ध में अधिक जानकारी पूरी पारदर्शिता से प्राप्त होगी l उन्होंने कहा कि इस नए डिस्क्लोज़र में ऑडिटर को कंपनी द्वारा किए गए बेनामी ट्रांजेक्शन, विलफुल डिफ़ॉल्ट, रिलेटेड पार्टी एवं प्रमोटर्स को दिए गए ऋण, कंपनी द्वारा आयकर के सर्वे-सर्च के दौरान किए गए सरेंडर का अकाउंटिंग ट्रीटमेंट तथा वहां किए जाने वाले टैक्स इत्यादि का भी डिस्क्लोज़र देना होगाl

सीए विक्रम गुप्ते ने कम्पनीज ऑडिटर्स रिपोर्ट आर्डर (कारो) के बारे में बताते हुए कहा कि नए कारो 2020 ऑडिटर को कंपनी के लगभग सभी क्षेत्र के बारे में रिपोर्ट करना होगीl पुराना कारो 2016 जहाँ सिर्फ कम्पलायंस पर आधारित था, कारो 2020, कम्पलायंस के अतिरिक्त कम्पनी के आर्थिक स्वास्थ्य, सॉल्वेंसी, कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर भी आडिटर से कमेन्टस की अपेक्षा रखता है। कारो 2020 ग्रुप के कंसोलिडेटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट पर भी एप्लिकेबल जबकि पूर्व में ग्रुप के कंसोलिडेटेड फाइनेंसियल स्टेटमेंट पर CARO 2016 में रिपोर्टिंग नहीं था।

ऑडिटर को रिबूस्ट ऑडिट प्रोसीजर अपनाने की जरूरत।

उन्होंने कहा कि पूर्व के मुकाबले में आडिटर को नई रिपोर्टिंग आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रिबूस्ट आडिट प्रोसीजर अपनाने की जरूरत है। कारो 2020 में अगर कम्पनी में कोई फ्रॉड या फिर कोई आयकर विभाग की किसी कार्रवाई में अघोषित आय का मामला सामने आने पर आडिटर द्वारा कम्पनी के इंटरनल फाइनेंशियल कण्ट्रोल या फिर इनएफीशिएंट बिज़नेस ऑपरेशन पर कमेंट देना होगा ।
सीए गुप्ते ने कहा कि कारो 2020 में कई नई बातों पर आडिटर को रिपोर्टिंग करना है, जैसे अगर कम्पनी के पास कोई स्थाई सम्पत्ति है परन्तु उसके स्वामित्व से सम्बंधित कागज़ नहीं है, कम्पनी पर बेनामी संपत्तियों के अन्तर्गत कोई कार्रवाई चल रही है, कम्पनी ने बैंकों से ऋण लेने के लिए जो स्टॉक स्टेटमेंट दिये हैं वह कम्पनी के खातों से मिलान करते हैं या नहीं, कम्पनी द्वारा प्रमोटरों, निदेशकों या फिर अन्य किसी को अगर कोई लोन दिया गया है तो उनकी शर्तें कम्पनी के हित में है या नहीं, कम्पनी को किसी बैंक द्वारा विलफुल डिफाल्टर तो घोषित नहीं किया गया है, बैंकों से लोन लेकर उसका उपयोग, जिस उद्देश्य से लोन लिया गया था उसी कार्य के लिए के लिए किया गया हैं या नहीं, कम्पनी द्वारा घोषित कुछ फाइनेंशियल रेशो के आधार पर क्या कम्पनी अपने आर्थिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने में सक्षम हैं और कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के अन्तर्गत कम्पनी ने पूरा पैसा खर्च किया है या नहीं, जैसे नए बिन्दुओं पर अब आडिटर को अपनी रिपोर्ट लिखने की आवश्यकता है।

सेमिनार का संचालन टीपीए के मानद सचिव सीए अभय शर्मा ने किया। टीपीए की ओर से स्वागत भाषण वाइस प्रेसिडेंट सीए जे. पी. सर्राफ तथा इंदौर सीए शाखा की और से वाइस चैयरमेन सीए अतिशय खासगीवाला ने दिया l सेमिनार में सीए सोम सिंघल, सीए प्रमोद तापड़िया, सीए अजय सामरिया सहित बड़ी संख्या में सदस्य उपस्थित थे।

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