खजराना गणेश की झांकी को बरसों से आकार दे रहे अजय मलमकर

  
Last Updated:  September 10, 2022 " 06:22 pm"

इंदौर : अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली मिलों को झांकियों को आकार देने वाले पुराने कलाकारों में बीसी मलमकर का नाम आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। करीब 50 वर्षों तक उन्होंने मिलों की झांकियों को अपने हुनर से जीवंत स्वरूप प्रदान किया। उनके मार्गदर्शन में ही कला गुणों को आत्मसात करनेवाले पुत्र अजय मलमकर ने पिता की विरासत को न केवल आगे बढ़ाया बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। कला को तकनीक के साथ जोड़कर उन्होंने नए प्रतिमान रच दिए।

बरसों तक दिया मिलों की झांकियों को आकार।

अजय मलमकर खुद भी उम्र के 50 बसंत पार कर चुके हैं। पिता के साथ और उनके जाने के बाद भी अजय ने बरसों तक मिलों की झांकियों का निर्माण किया। नगर निगम और आईडीए की झांकियों के निर्माण का सिलसिला भी उन्होंने ही शुरू किया था। एक समय था जब गणेश विसर्जन चल समारोह में निकलने वाली 15 से अधिक झांकियां मलमकर आर्ट्स के बैनर तले ही बनती थीं।

खजराना गणेश की झांकी बनाने का मिला मौका।

खजराना गणेश की झांकियों को आकार देने की शुरुआत भी अजय मलमकर ने ही की थी। कई बरसों तक उन्होंने इस काम को पूरे मनोयोग के साथ किया।

7 साल से अपने खर्च पर बनाकर दे रहे खजराना गणेश की एक झांकी।

अजय मलमकर सामाजिक सेवा में भी पीछे नहीं रहते पर वे किसी भी काम का श्रेय नहीं लेते। बीते 7 वर्षों से वे खजराना गणेश की एक झांकी अपनी ओर से बनाकर देते हैं। उसका कोई शुल्क वे चार्ज नहीं करते।

इस बार पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती झांकी बनाई।

इस बार चल समारोह में खजराना गणेश की तीन झांकियां शामिल थीं, उनमें से एक चलित झांकी का निर्माण अजय मलमकर ने अपने साथियों के साथ किया था। चल समारोह की सबसे लुभावनी इस झांकी की लंबाई करीब 75 फीट थी। इसमें गणपति के प्रिय विशाल मोदक के साथ चार मूषक श्री गणेश की आरती करते दर्शाए गए थे। भगवान गणेश को तीन ओर घूमते दिखाया गया था। झांकी के दूसरे भाग में पर्यावरण को बचाने का संदेश पेड़ – पौधों, जीव – जंतुओं और मूषको के हाथों में स्लोगन लिखी पट्टिकाओं के जरिए दिया गया। झांकी के आखरी हिस्से में खजराना गणेश विराजित होकर भक्तों को आशीर्वाद दे रहे थे। इस नयनाभिराम झांकी को देखकर कलेक्टर मनीष सिंह भी सराहना किए बगैर नहीं रह सकें।

मुरारी बापू सहित कई बड़े कथा वाचकों के लिए स्टेज निर्माण कर चुके हैं मलमकर ।

अजय मलमकर स्टेज डेकोरेशन में भी सिद्धहस्त हैं। मुरारी बापू, मां कनकेश्ववरी देवी, अवधेशानंदजी महाराज सहित कई दिग्गज संत महात्माओं के कार्यक्रमों में स्टेज डेकोरेशन का काम अजय मलमकर करते रहे हैं। इसी के साथ चौराहों पर लगने वाली मूर्तियों का निर्माण भी वे बखूबी करते हैं।

बेटी को सौंप रहे विरासत में मिली कला की धरोहर।

अपने पिता से मिले हुनर और कला को अजय मलमकर अब अपनी बेटी के साथ साझा कर रहे हैं। तकनीक का कला में इस्तेमाल करके वे नवाचारों को अंजाम दे रहे हैं।

पिता के जमाने के कलाकार आज भी कर रहे काम।

बेहद सादगी के साथ रहने वाले अजय मलमकर बताते हैं कि उनके पिता के साथ काम करने वाले कई कलाकार आज भी उनसे जुड़े हैं। वे एक परिवार के मुखिया के रूप में सबका ध्यान रखते हैं। पोलोग्राउंड में अपना वर्कशॉप संचालित कर रहे अजय मलमकर कला के क्षेत्र में नित नए नवाचार करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। वे चाहते हैं कि तेजी से करवट ले रहे इंदौर में कला – संस्कृति की धारा हमेशा प्रवाहित होती रहे। इसमें अपने तई योगदान देने के लिए वे सदैव तत्पर हैं।

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