धूम्रपान, तंबाकू, जंक फूड और अनियमित दिनचर्या से होती है दिल की बीमारियां।
ओवर एक्सरसाइज भी हो सकती है घातक।
जिम जाने से पहले कराएं मेडिकल फिटनेस की जांच।
मेडिसिन के साथ एंजियोप्लास्टी और बायपास सर्जरी है दिल की बीमारी का कारगर उपचार।
अवर लाइव इंडिया से चर्चा में बोले कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गोयल।
इंदौर : हार्ट अटैक याने हृदयाघात से मौतों के मामले इन दिनों बेतहाशा बढ़े हैं।बच्चे और युवा भी इसका शिकार हो रहे हैं। यहां तक कि कई मामलों में अस्पताल ले जाने का भी मौका नहीं मिल पाता, कुछ मिनटों में ही मौत हो जाती है। 10 वर्ष से लेकर 55 वर्ष तक के कई लोग बीते दिनों में हृदयाघात से असमय मौत के शिकार हुए हैं। इंसान की जिंदगी छीन लेने वाली दिल की बीमारियों के प्रति जागरूकता लाने के लिए ही प्रतिवर्ष वर्ल्ड हार्ट डे अर्थात विश्व ह्रदय दिवस भी मनाया जाता है। आखिर हमारे शरीर में हार्ट याने दिल का मूल काम क्या है..? इसमें खराबी क्यों और कैसे आती है..? किसी को दिल की बीमारी ने जकड़ लिया है, इसका पता कैसे लगाया जाए..? दिल की बीमारियों से निजात पाने के कौनसे तरीके अपनाए जाते हैं। ह्रदय को तंदुरुस्त बनाएं रखने के लिए किस तरह के उपाय किए जाना चाहिए। जीवन शैली में क्या बदलाव किए जाएं, जिससे हम अपने दिल को स्वस्थ्य बनाएं रख सकें। ऐसे तमाम सवालों को लेकर हमने एमजीएम मेडिकल कॉलेज व एमवायएच के एसोसिएट प्रोफेसर और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पुनीत गोयल से चर्चा की।
शरीर को रक्त की आपूर्ति के लिए पंपिंग का काम करता है ह्रदय।
डॉ. पुनीत गोयल ने कहा ह्रदय याने दिल, शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। इसका मूल काम पूरे शरीर में रक्त की आपूर्ति बनाए रखना है। एक तरह से यह पंपिंग स्टेशन का काम करता है। हालांकि ह्रदय को भी रक्त और ऑक्सीजन की जरूरत होती है। जब इसे रक्त व ऑक्सीजन की आपूर्ति करनेवाली धमनियों में रुकावट आने लगती है तो हृदयाघात याने दिल के दौरे की संभावना बढ़ जाती है।
धमनियों में ब्लॉकेज से होता है हृदयाघात।
डॉ. पुनीत गोयल ने बताया कि ह्रदय को ब्लड की आपूर्ति करने वाली मुख्य तीन धमनिया होती हैं। जब इनमें कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है तो रक्त की आपूर्ति बाधित होने लगती है। यही ब्लॉकेज हार्ट अटैक याने हृदयाघात का कारण बनते हैं।
इन कारणों से आती है हार्ट में खराबी।
ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. पुनीत ने बताया कि हार्ट में खराबी आने के कई कारण हो सकते हैं इनमें :-
धूम्रपान व तंबाकू जनित पदार्थों का सेवन।
ब्लड प्रेशर व शुगर का अनियंत्रित रूप से बढ़ना।
खानपान की आदतों में बदलाव,जंक फूड व अधिक वसा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना।
तनाव में घिरे रहना।
व्यायाम का अभाव।
अनुवांशिक पृष्ठभूमि का होना।
आदि प्रमुख कारण शामिल हैं। डॉ. पुनीत ने बताया कि हमने अपने खानपान को छोड़कर पश्चिमी खानपान और जंक फूड को अपना लिया है। इससे शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ने लगती है जो ह्रदय की धमनियों में जमा होने लगता है और हार्ट अटैक का सबब बनता है। इसी के साथ शारीरिक गतिविधियां जैसे व्यायाम, खेलकूद, टहलना आदि से भी हम दूर हो गए हैं। ये सभी कारण ह्रदय में खराबी के कारक हैं।
आकस्मिक मौतों का कारण धड़कनों का अनियंत्रित होना।
सड़न डेथ अर्थात आकस्मिक रूप से हो रही मौतों को लेकर डॉ. पुनीत का कहना था कि कई बार दिल की धड़कनों के अनियंत्रित रूप से घटने या बढ़ने से भी इस तरह की मौतें होती हैं। उन्होंने इस बात से असहमति जताई की कोविड काल के बाद आकस्मिक मौतों की संख्या बढ़ी है।
जिम जाने से पहले मेडिकल जांच कराएं।
जिम में एक्सरसाइज करते हुए भी कुछ लोगों की मौत होने के उदाहरण सामने आए हैं। इसको लेकर पूछे गए सवाल पर डॉ. पुनीत गोयल का कहना था कि ओवर एक्सरसाइज भी हार्ट के लिए अच्छी नहीं होती। जो लोग जिम में जाकर पसीना बहाते हैं, उन्हें एक बार अपनी मेडिकल जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए। बीपी, शुगर अथवा बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल पाए जाने पर उन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही हल्का व्यायाम करना चाहिए। डॉ.पुनीत के अनुसार 35 से 40 वर्ष की उम्र के बाद हर व्यक्ति को साल में एक बार हेल्थ चेकअप करवा लेना चाहिए ताकि ह्रदय से जुड़ी या अन्य कोई बीमारी हो तो पकड़ में आ सके।
टीएमटी जांच से पता चलते हैं प्राथमिक लक्षण।
किसी के हार्ट में ब्लॉकेज है या नहीं इसका पता लगाने के लिए टीएमटी जांच की जाती है। उसके रिजल्ट पॉजिटिव आते हैं तो एंजियोग्राफी कर ब्लॉकेज का पता लगाया जाता है। उसके बाद फैसला किया जाता है की एंजियोप्लास्टी करना है या बायपास सर्जरी।
एंजियोप्लास्टी अथवा बायपास सर्जरी के बाद जिया जा सकता है सामान्य जीवन।
डॉ. पुनीत ने बताया कि अधिकांश मामलों में मेडिसिन और एंजियोप्लास्टी के जरिए हार्ट में आई खराबी को दूर किया जा सकता है। केवल 5 फीसदी मामलों में ही एंजियोप्लास्टी के बाद पुनः ब्लॉकेज की समस्या आती है। अन्यथा 95 फीसदी मामलों में एंजियोप्लास्टी के बाद मरीज स्वस्थ्य जीवन जीता है। जिन मामलों में धमनियों में ब्लॉकेज ज्यादा हों, तो बायपास ही विकल्प रह जाता है। बायपास के बाद मरीज बरसों तक सामान्य जीवन जी सकता है।
इसे कहते हैं हार्ट का एनलार्ज होना।
डॉ. पुनीत का कहना था कि जब हार्ट में खराबी आने से उसकी पंपिंग क्षमता कम हो जाती है तो वह सामान्य आकार से फैलने लगता हैं, इसे ही हार्ट का एनलार्ज होना कहा जाता है। ब्लॉकेज दूर कर मेडिसिन के सहारे उसे मूल स्वरूप में लाने का प्रयास किया जाता है। हालांकि हार्ट का जो हिस्सा डैमेज हो जाता है, उसे ठीक नहीं किया जा सकता।
हार्ट ट्रांसप्लांट जोखिमभरा होता है।
ये पूछे जाने पर की क्या किडनी और लीवर की तरह हार्ट ट्रांसप्लांट किया जा सकता है, डॉ. पुनीत का कहना था कि हार्ट ट्रांसप्लांट संभव है और बड़े शहरों में हो भी रहे हैं पर इसमें जोखिम बहुत अधिक होता है। दूसरे हार्ट आसानी से उपलब्ध नहीं होते। पशुओं के हार्ट इंसानों में लगाए जा सकते हैं या नहीं, इसपर भी शोध किए जा रहे हैं। इसके अलावा आर्टिफिशियल हार्ट को लेकर भी अनुसंधान चल रहे हैं पर फिलहाल इनमें अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई है।
नियमित दिनचर्या अपनाकर रखें ह्रदय को तंदुरुस्त।
डॉ. पुनीत ने बताया कि बीमारी के उपचार से बेहतर उससे बचाव है। अगर हमें अपने दिल को तंदुरुस्त बनाएं रखना है तो नियमित दिनचर्या को अपनाना जरूरी है।
नियमित रूप से टहलने जाएं।
हल्का व्यायाम करें।
तनाव प्रबंधन करें।
धूम्रपान, तंबाकू और उससे निर्मित पदार्थों के सेवन से बचें।
जंक फूड का सेवन न करें।
नींद पर्याप्त मात्रा में लें।
बीपी, शुगर हो तो उसे नियंत्रण में रखें।
परिवार अथवा करीबी रिश्तेदारों में किसी को हार्ट प्रोब्लम रहा हो तो अपनी नियमित जांच कराएं।
खानपान और दिनचर्या को नियमित रखें।
डॉ. पुनीत गोयल ने बताया कि लोग उपरोक्त बातों पर अमल करें तो दिल की बीमारियों से बचे रह सकते हैं और निरोगी व लंबी आयु जी सकते हैं।