पितृसत्तात्मक व्यवस्था महिलाओं के विकास में बाधक : श्रीमती राय

  
Last Updated:  March 15, 2023 " 10:40 pm"

चांद पर अब तक 12 पुरुष पहुंचे,किंतु एक भी महिला नही।

उड़ान पत्रिका का विमोचन।

तीन महिलाओं को सम्मानित किया।

इंदौर : अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष को मनाते हुए 100 वर्ष होने को आए। इस अवधि में महिलाओं ने कई क्षेत्रों में प्रगति की,लेकिन इसके बावजूद अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।संयुक्त राष्ट्र संघ के चीफ का भी कहना है कि महिलाओं को पुरुषों की बराबरी में आने के लिए अभी 132 वर्ष और लगेंगे। विज्ञान और कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी मात्र 35 प्रतिशत है। अभी तक चांद पर 12 पुरुष पहुंचे है,लेकिन महिला एक भी नहीं।

ये विचार वरिष्ठ पत्रकार और एंकर श्रीमती अमृता राय ने व्यक्त किए।वे अभ्यास मंडल द्वारा इंदौर प्रेस क्लब के राजेंद्र माथुर सभागार में विश्व महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रही थीं। विषय था “21 वी सदी और महिला शक्ति”। इस मौके पर डॉ. विनीता कोठारी,धावक रेशमा गौड़ और सामाजिक कार्यकर्ता रूपांशी श्रीवास्तव को शॉल, श्रीफल, स्मृतिचिन्ह और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

पितृसत्ता महिलाओं के विकास में बाधक।

श्रीमती राय ने कहा कि पुरुष और स्त्री एक रथ के दो पहिए हैं। दोनों मिलकर समाज को चलाते हैं। हर महिला अपने संस्कारों के दायरे में रहकर ही स्वतंत्रता चाहती है। श्रीमती राय ने कहा कि महिलाओं के विकास में पितृ सत्तात्मक व्यवस्था बाधक है।केवल एक दिन महिला दिवस मनाने से कुछ नही होगा। हर रोज महिला दिवस मनाने की जरूरत है।

स्वागत भाषण देते हुए प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने कहा कि अभ्यास मंडल गत 64 वर्षो से जनता के हितों से जुड़े मुद्दे पर कार्य कर रही है। उसके खाते में ढेरों उपलब्धियां हैं।

अभ्यास मंडल की गतिविधियों पर केंद्रित पत्रिका उड़ान का विमोचन।

इस मौके पर नेताजी मोहिते,प्रवीण जोशी, अशोक कोठारी और शफी शेख ने श्रीमती राय से पत्रिका उड़ान का विमोचन कराया। मालसिंह ठाकुर ने बताया कि उड़ान में अभ्यास मंडल द्वारा वर्ष भर की गई गतिविधियों की सचित्र जानकारी दी गई है।

कार्यक्रम में अतिथि स्वागत सुशीला यादव,दीप्ति गौर, अरविंद तिवारी ने किया। प्रतीक चिन्ह प्रोफेसर सरोज कुमार ने प्रदान ने किए।संचालन मनीषा गौर और माला सिंह ठाकुर ने किया।आभार वैशाली खरे ने माना। अंत में दिवगंत पत्रकार वेदप्रताप वैदिक और दिलीप सिंह ठाकुर को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।

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