फिलहाल इंदौर में बंगलौर जैसे हालात नहीं पर सतर्कता जरूरी

  
Last Updated:  April 24, 2024 " 10:52 pm"

सेवा सुरभि के कार्यक्रम में बोले पानीवाले बाबा के नाम से मशहूर राजेंद्र सिंह ।

शहर का वास्तविक वाटर बैंक बहुत तेजी से हो रहा खाली।

नदी आईसीयू में चली गई है।

इंदौर : इंदौर पानीदार शहर है, लेकिन यहां की नदी आईसीयू में पहुंच गई है। उसकी बीमारी का सही इलाज करने के बजाभी मेंय आप उसे ब्यूटी पार्लर में ले जा रहे हैं। यह ऐसा सांस्कृतिक शहर है, जो किसी भी मुद्दे पर सामूहिक चिंतन कर उनका निराकरण ढूंढ लेता है। यह समझ से परे बात है कि जब यहां नर्मदा का अगला चरण आ गया है तो फिर धरती का पेट खाली कर बोरिंग क्यों किए जा रहे हैं।यहां का वास्तविक वाटर बैंक बहुत तेजी से खाली हो रहा है। शहर के युवा महापौर को इस मामले में पूरी संजीदगी के साथ प्रयास करना होंगे। शहर में अभी बैंगलुरू जैसे हालात नहीं बने हैं पर समय रहते सतर्क होने और पानी की बूंद – बूंद सहेजने की जरूरत है।

पानी वाले बाबा के नाम से प्रख्यात और तरुण भारत संघ के संस्थापक जल विशेषज्ञ राजेन्द्रसिंह ने मंगलवार को प्रेस क्लब सभागृह में संस्था सेवा सुरभि द्वारा आयोजित ‘बैंगलुरू जैसे जल संकट से बचने के लिए क्या करें इंदौर’ विषय पर बोलते हुए उक्त बातें कहीं। प्रारंभ में आई.आई.एस.टी. के ग्रुप एडवाइजर अरुण भटनागर, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, पद्मश्री जनक पलटा, अनिल त्रिवेदी, अरविंद बागड़ी एवं राजेन्द्रसिंह ने दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर संस्था सेवा सुरभि की ओर से महापौर पुष्यमित्र भार्गव को शहर की जल समस्या के संदर्भ में प्रतिवेदन संस्था के संयोजक ओमप्रकाश नरेड़ा ने भेंट किया, जिसका वाचन कार्यक्रम के सूत्रधार संजय पटेल ने किया। अतिथियों का स्वागत पर्यावरणविद जयश्री सिक्का, अतुल शेठ, अनिल मंगल आदि ने किया। कार्यक्रम की भूमिका पर्यावरणविद ओ.पी. जोशी ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

नर्मदा का जल आ रहा तो भू जल का दोहन क्यों..!

राजेन्द्रसिंह ने इंदौर की तारीफ के साथ अपने व्याख्यान की शुरुआत करते हुए कहा कि यहां के लोग एक साथ बैठकर किसी भी समस्या पर चिंता और चिंतन कर लेते हैं और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निर्णय लेते हैं। मैं लंबे समय बाद यहां आया हूं और कुछ हद तक देखा भी है कि यहां क्या-क्या बदला है। यह शहर अभी भी पानीदार है। 1994 में पहली बैठक में नर्मदा के अगले चरण के पानी को इंदौर लाने की बात हुई थी, जो अब पूरी हो चुकी है, लेकिन कुछ बातें चिंताजनक कही जाना चाहिए – एक तो यह कि यहां का जो वास्तविक वाटर बैंक है वह बहुत तेजी से खाली हो रहा है। धरती के नीचे का पानी क्यों निकाला जा रहा है, जबकि यहां नर्मदा का पानी आ चुका है, यह समझ परे है।

हर जगह वाटर रिचर्जिंग कामयाब नहीं।

राजेंद्र सिंह ने कहा कि हर जगह वाटर रिचार्जिंग कामयाब नहीं होते। धरती के ऊपर लगे पौधों से सामान्य रूप से पता चल जाता है कि वहां की मिट्टी में पानी है या नहीं। इसलिए यह जरूरी है कि जहां भी रिचार्ज करना है, वहां पहले जांच कर लें और उसके बाद रिचार्ज करें।

आईसीयू में चली गई है इंदौर की नदी।

पानी वाले बाबा ने कहा कि जहां तक इंदौर की नदी की बात है मुझे लगता है कि वह आईसीयू में चली गई है। उसे एक बहुत बड़े डॉक्टर की जरूरत है। बीमारी कुछ और है, लेकिन उसका उपचार आप ब्यूटी पार्लर में ले जाकर कर रहे हैं। इस पर जो भी पैसा भी पैसा खर्च हो रहा है, वह सही उपचार पर होना चाहिए।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव को इंगित करते हुए पानी वाले बाबा ने कहा कि वे युवा हैं और उन्हें काफी लम्बे समय तक काम करना है। मुझे उम्मीद है कि शहर के साथ-साथ यहां की नदी की सेहत सुधरेगी तो महापौर भी अधिक समय तक स्वस्थ और दीर्घायु बने रहेंगे। नदी के आसपास के क्षेत्र में अतिक्रमण भी हो रहे हैं। नदी के ब्लू, ग्रीन और रेड जोन के अनुसार कार्रवाई होना चाहिए।

फिलहाल बंगलौर जैसे हालात नहीं।

पानी वाले बाबा राजेंद्र सिंह ने कहा कि अभी इंदौर में बैंगलुरू जैसे संकट के हालात नहीं है बावजूद इसके सतर्कता जरूरी है। बेहतर यही होगा कि अपने प्राकृतिक संसाधनों को ठीक करें और उपलब्ध जल का सही उपयोग करें।

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