बाइक सर्विसिंग में भी पुरुषों के एकाधिकार को चुनौती दे रही महिलाएं

  
Last Updated:  September 1, 2021 " 04:29 pm"

कीर्ति राणा इंदौर : शहर में अभी भी बाइक चलाती महिलाएं-युवतियां कम ही नजर आती हैं। ऐसे में बाइक सहित सभी तरह के टू व्हीलर की सर्विसिंग का काम महिलाएं करती नजर आएं तो मन में पहली जिज्ञासा यही होगी कि ये गाड़ी ठीक से सुधार भी पाएगी या नहीं।बाइक सुधार भी दी तो उसकी ट्रायल ले सकेगी या नहीं।
पिपल्याहाना में ग्रेटर ब्रजेश्वरी कॉलोनी में कोठारी कॉलेज रोड या पिपल्याहाना में श्रीराम नगर गेट के पास से गुजरें तो इन महिलाओं को बाइक सुधारते देख सकते हैं। हाथ काले हों या मैकेनिक वाली ड्रेस इससे इन्हें फर्क नहीं पड़ता लेकिन बाइक ठीक कराने आए ग्राहक का कौतुहल बना रहता है कि बाइक या एक्टिवा, प्लेजर कितनी देर में ठीक कर देंगी।शहर में ये दो सर्विस सेंटर एडवांस टूल किट, हाइड्रोलिक प्लेटफार्म के साथ संचालित हो रहे हैं।कुछ दिनों में तीसरा सेंटर हवा बंगला रोड पर शुरु हो जाएगा।
शहर में महिलाओं द्वारा संचालित सर्विस सेंटर ‘समान सोसायटी’ के अध्यक्ष राजेंद्र बंधु (परमार) के सकारात्मक सोच का परिणाम है। उनका मानना है कि अगले पांच साल में रोजगार के वो सारे क्षेत्र जिनमें पुरुषों का दखल है, वहां महिलाओं की भी बराबर की भागीदारी हो जाएगी। शुरुआत उन्होंने करीब 200 महिलाओं को टू व्हीलर मेंटेनेंस का तीन महीने का निशुल्क प्रशिक्षण और पंद्रह दिन दो पहिया एजेंसियों द्वारा संचालित सर्विस सेंटरों पर एक पखवाड़े की इंटर्नशिप दिलाकर की।फुल टाइम वर्किंग के लिए 50 महिला मैकेनिक तैयार हुईं।
पालदा और पिपल्या हाना में संचालित किए जा रहे सर्विस सेंटर पर 6 महिला मैकेनिक स्थायी रूप से कार्य कर रही हैं।जब सर्विसिंग के लिए अधिक गाड़ियां आ जाती हैं तो ट्रेनिंग कर चुकी महिलाओं को फोन कर के सहयोग के लिए बुला लेते हैं और उन्हें पेमेंट कर देते हैं।

खुद की गाड़ी खराब होने पर आया विचार।

अलकापुरी कॉलोनी ( मूसाखेड़ी) में रहने वाले राजेंद्र बंधु की बाइक सुबह खराब हो गई। गैरेज पर पहुंचे तो खुला नहीं था, इंतजार करते हुए आसपास के घरों के सामने झाड़ू लगा रही महिला से बातचीत करने लगे तो उसने बताया महीने में 3हजार रु तक मिल जाते हैं।गाड़ी सुधारने वाले युवा मैकेनिक ने मजदूरी के 65 रु लिए, जिसमें 45 रु उसकी शुद्ध कमाई थी।उन्होंने सोचा कि मैकेनिक का काम महिलाओं को सिखाया जाए तो वह भी 8-10 हजार रु महीना कमा सकती हैं। पालदा के सरकारी स्कूल में टीचर-पत्नी रेखा ने समर्थन किया लेकिन चुनौतियों से भी आगाह किया।2018 में समान सोसायटी गठित की और बस्तियों में परिवारों को मैकेनिक ट्रेनिंग के लिए बहू-बेटियों को भेजने का अनुरोध करते रहे। किसी ने हिचकते हुए सहमति दी तो अधिकांश ने फटकार क्या हमारी बहू-बेटी अब गैराज पर हाथ काले करेंगी।इन सब को समझाया कि एडवांस टूल किट से काम होने लगा है, मोबाइल क्लिपिंग दिखाई।चूंकि प्रशिक्षण नि : शुल्क था इसलिए धीरे धीरे महिलाएं सहमत होती गईं।पिछले साल फरवरी में पालदा में पहला सर्विस सेंटर शुरु किया लेकिन लॉकडाउन के कारण कुछ महीने बंद रखना पड़ा।अब पिपल्याहाना में एक अप्रैल को शुरु किया, 9 से लॉकडाउन लग गया।5 जून से फिर शुरु हो गया है।महिलाओं को समानता जैसे उनके विचारों से प्रभावित होकर पालदा वाले सर्विस सेंटर के लिए टायर कंपनी ब्रिज स्टोन ने और पिपल्याहाना के लिए दिल्ली की एंपॉवर कंपनी ने पूरा सेटअप तैयार कर के दिया है।

🔻इंजिन रिपेयर सहित सारे काम कर लेती हैं।

गाड़ियों के जाम हो चुके नट-बोल्ट खोलना ताकत का काम रहता है, यह करने के साथ ही दोनों सर्विस सेंटर पर मैकेनिक महिलाएं दो पहिया गाड़ियों के इंजिन तक रिपेयर कर लेती हैं। सर्विस सेंटर का किराया, बिजली-पानी का बिल, अन्य खर्चे चुकाने के बाद कम से कम 8 हजार रु महीना हर महिला कमा रही है।

🔻आईटीआई का पाठ्यक्रम चुनौतीपूर्ण लगा तो..

इससे पहले महिलाओं को कार ड्राइविंग का प्रशिक्षण देकर इस क्षेत्र में उनके लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध करा चुके राजेंद्र बंधु ने पहले तय किया था कि महिलाओं को मैकेनिक कार्य का प्रशिक्षण आईटीआई (इंडस्ट्रीयल ट्रेनिंग स्कूल) से दिलवाएं।कुछ पाठ्यक्रम का जटिल होना और कुछ महिलाओं की परेशानी। खुद उन्होंने ही तीन महीने का सरल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तैयार कर डाला।इंटर्नशिप के लिए व्हीलर कंपनियों के स्थानीय संचालकों को तैयार कर लिया।इनके सर्विस सेंटरों पर मैकेनिक महिलाओं के प्लेसमेंट की बात भी कर ली लेकिन काम के 8 घंटे की अनिवार्यता आड़े आ गई।तब इन्हीं महिलाओं द्वारा सर्विस सेंटर संचालित किए जाने की योजना शुरु की।

🔹मैकेनिक महिलाओं के वर्जन।

“अब तक मैकेनिक का काम करते लड़कियों को नहीं देखा था, इसलिए मैंने इस काम को चुना।जब काम करना है तो कपड़े, हाथ गंदे होने की चिंता क्या करना।
-शिवानी रघुवंशी
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“कस्टमर को पहले तो विश्वास ही नहीं होता था।बंद बाइक ठीक कर देती तो पूछते थे चला कर दिखा सकोगी।मेरे भाई का दोस्त बाइक ठीक कराने आया, जैसा साउंड वह चाहता था, वैसा हो गया तो बोला दीदी अब से यहीं आऊंगा सर्विसिंग के लिए।पहले बोल्ट खोलने में दिक्कत होती थी, फिर थोड़ा पेट्रोल डाल कर खोलना आसान हो गया।

सपना जाधव

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