सानंद फुलोरा के तहत 50 वर्ष पुराने बाल नाट्य की सफल प्रस्तुति।
इंदौर : 50 वर्ष पुराने बाल नाटक ‘अलबत्या खलबत्या’ में आज भी इतना आकर्षण है कि 7 वर्ष से लेकर 70 वर्ष की आयु तक के लोगों को यह खूब रोमांचित कर रहा है। प्रसिद्ध मराठी साहित्यकार रत्नाकर मतकरी ने 1972 में इस नाटक को लिखा था। तब से लेकर अब तक इसके सैकड़ों प्रयोग हो चुके हैं। व्यावसायिक स्तर पर भी इस नाटक ने जबरदस्त सफलता अर्जित की है। रविवार को सानंद फुलोरा के तहत इस नाटक को मंचित किया गया।रसिक प्रेक्षक पूरे समय रोमांचित होकर गुदगुदाते रहे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्मार्टफोन के जमाने में भी इस बाल नाटक की प्रासंगिकता बनी हुई है। महाराष्ट्र के सुप्रसिद्ध रंगकर्मी दिलीप प्रभावलकर ने इस नाटक में चेटकेणी(वृद्ध महिला) की भूमिका अदा की है। उनकी यह भूमिका जबरदस्त लोकप्रिय हुई थी। बाद में इस भूमिका को वैभव मांगले जैसे विख्यात कलाकार ने अदा किया। सानंद के मंच पर इस भूमिका को निलेश गोपनारायण ने अभिनीत किया। इस नाटक के निर्देशक चिन्मय मांडलेकर और निर्माता राहुल भंडारे हैं। बच्चों के लिए लिखा होने के बावजूद इस नाटक ने हर उम्र के दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। पूरे नाटक में बच्चे हो या बुजुर्ग, जमकर ठहाके लगाते रहे। इस नाटक में नेपथ्य और प्रकाश योजना के साथ ही रंगभूषा और वेशभूषा की रचना खास चुनौतीपूर्ण मानी जाती रही है। इस बार इन भूमिकाओं को क्रमशः संदेश बेंद्रे, शीतल तलपडे, उल्हास खंदारे और महेश शेलार ने बखूबी अदा किया है। कलाकारों में निलेश गोपनारायण के अलावा सनीभूषण मुणगेकर,श्रद्धा हांडे, सागर सातपुते, नितिन जंगम, आदिल कदम, बालकृष्ण वानखेडे, अभिजीत भोसले, संकेत गुरव और प्रतीक्षा सोनवणे ने भी प्रभावशाली मौजूदगी दर्ज की। इस नाटक के सानंद के मंच पर दो प्रयोग सफलतापूर्वक संपन्न हुए।
सानंद फुलोरा के तहत बाल नाट्य ‘अलबत्या गलबत्या’ के दोपहर 3 वाले शो का शुभारंभ हर्ष चौहान एवं सौ अंजली चौहान ने किया। शाम 6 बजे वाले शो के अतिथि सौ. ज्योति पवार एवं शरद पवार थे। अतिथियों का स्वागत सानंद न्यास के अध्यक्ष श्रीनिवास कुटुंबळे, मानद सचिव जयंत भिसे एवं सहसचिव संजीव वावीकर ने किया।