इंदौर : भारत के पास विविधता भरी इतनी सौम्य संपदा (Soft Power ) है कि उसके जरिए वह विश्व में अपनी अलग पहचान बनाने के साथ पर्यटन को भी बढ़ावा दे सकता है। जरूरत है इस सौम्य संपदा की पहचान कर उसे सहेजने, संवारने और देश- विदेश में उसका प्रचार- प्रसार करने की। ये बात राज्यसभा सांसद विनय सहस्त्रबुद्धे ने कही। वे महाराष्ट्र साहित्य सभा के शारदोत्सव के तहत जाल सभागृह में आयोजित व्याख्यानमाला में बोल रहे थे। वरिष्ठ पत्रकार स्व.बालाराव इंगले के जन्मशताब्दी वर्ष के चलते यह व्याख्यान उनकी स्मृति को समर्पित किया गया।
अस्मिता व पहचान से जुड़ी है सौम्य सम्पदा।
विनय सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि सौम्य सम्पदा हमारी अस्मिता और पहचान से जुड़ी है। जिसतरह बच्चे को अपनी पहचान माता- पिता से मिलती है, उसीतरह हमारी पहचान इतिहास, भूगोल, भाषा, संस्कृति और खानपान से जुड़ी है। यही हमारी सौम्य सम्पदा है, जिसे समझने, सहेजने, बढाने और दुनियाभर में पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि विविधता से भरी हमारी संस्कृति, भाषा, संगीत, लोक कलाएं, ऐतिहासिक विरासत, लोकाचार देश- विदेश में हमारी अस्मिता और पहचान को स्थापित करते हैं। हमें भारत की इसी सौम्य सम्पदा से दुनिया को अवगत कराना है। इससे हम अपने देश की बेहतर छवि दुनिया में पेश कर सकेंगे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विनय सहस्त्रबुद्धे को बधाई देते हुए कहा कि सौम्य सम्पदा क्या होती है और देश की सकारात्मक छवि पेश करने में उसकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है, ये विनयजी ने सरलता से हमको समझाया।
बीजेपी नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे कार्यक्रम के विशेष अतिथि थे।
प्रारम्भ में अतिथियों का स्वागत महाराष्ट्र साहित्य सभा की ओर से अध्यक्ष अश्विन खरे और अन्य पदाधिकारियों ने किया। शारदोत्सव की कार्याध्यक्ष अर्चना चितले ने शारदोत्सव के तहत अबतक आयोजित की गई गतिविधियों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन मिलिंद दांडेकर ने किया। बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन इस अवसर पर उपस्थित थे।