महान कवि और साहित्यकार भी थे वीर सावरकर- धनश्री लेले

  
Last Updated:  December 30, 2019 " 02:36 pm"

इंदौर : स्वातंत्र्यवीर सावरकर के प्रखर राष्ट्रवाद,मातृभूमि के प्रति उनके अनन्य प्रेम,उनका तार्किक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं समाज सुधारक के रूप में उनकी महान भूमिका से तो सभी परिचित हैं,लेकिन महाराष्ट्र के बाहर बहुत कम लोगों को पता है कि उनका साहित्यिक व्यक्तित्व भी उतना ही प्रखर और विराट है।
सावरकर सिर्फ प्रखर राष्ट्रवाद के जगमगाते सितारे ही नहीं महान साहित्यकार और कवि भी थे। उनके मन में मातृभूमि के लिए जितनी तड़प थी,उतनी ही तीव्रता उनके मानवीय करूणा से ओतप्रोत काव्य में भी अनुभूत होती है। सावरकर ने जो लिखा आत्मा की गहराई से लिखा,इसलिए उनका काव्य मर्मस्पर्शी और अत्यंत प्रभावी है। यह बात मुम्बई की सुप्रसिद्ध लेखिका,प्रखर वक्ता, अभ्यासक और सूत्र संचालिका धनश्री लेले ने महाकवि सावरकर विषय पर अपने ओजस्वी संबोधन में कहीं। उन्होंने कहा कि सावरकर का साहित्य विविधता लिए हुए और ओज पूर्ण है। खचाभच भरे माधव विद्यापीठ परिसर में विदुषी वक्ता ने तर्क पूर्ण और शोध पूर्ण तरीके से सावरकर के काव्य ओज की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि सावरकर के काव्य में ओज तो है ही,लेकिन करूणा और विरह भी है। धनश्री लेले ने बताया कि सावरकर ने 10,000 से अधिक पन्ने मराठी भाषा में तथा 1500 से अधिक पन्ने अंग्रेजी में लिखे हैं। बहुत कम मराठी लेखकों ने इतना मौलिक लेखन किया है। उनकी सागरा प्राण तळमळला, हे हिंदु नृसिंहा प्रभो शिवाजी राजा, जयोस्तुते, तानाजीचा पोवाडा आदि कविताएं अत्यन्त लोकप्रिय हैं।
विदुषी वक्ता ने बताया कि 1909 में मात्र चार वर्ष की उम्र में सावरकर के पुत्र का निधन हुआ इस पर उन्होंने प्रभाकरास याने प्रभाकर को.. शीर्षक से जो कविता लिखी। उसे पढ़कर सभी के नेत्रों से अश्रुधारा बहती है। सावरकर पहले साहित्यकार थे जिन्होंने छत्रपति शिवाजी पर किशोर अवस्था में आरती की रचना की। धनश्री लेले ने बताया कि सावरकर दैवीय प्रतिभा के धनी थे। उनका लेखन आत्मा के भीतर उतर जाता है। विदुषी वक्ता ने अपना पूरा संबोधन केवल सावरकर के साहित्य पर ही केंद्रीत रखा। उन्होने कहा कि मराठी साहित्य में सावरकर जैसा विलक्षण प्रतिभा का कवि कोई दूसरा नहीं हुआ। सावरकर के समग्र व्यक्तित्व का मूल्यांकन उनकी कविताओं और उनके साहित्य के आधार पर होना चाहिए। उन्होंने पद्मभूषण स्व.धनंजय कीर को कोट करते हुए कहा कि स्व.धनंजय कीर हमेशा कहते थे कि सावरकर की देश भक्ति और स्वतंत्रता के लिए उनकी तड़प जितनी महान है,उतना ही महत्वपूर्ण उनका साहित्य विशेषकर उनकी कविताएं हैं। कार्यक्रम की शुरूआत बृह्नमहाराष्ट्र मंडल के अध्यक्ष मिलिंद महाजन द्वारा किए गए दीप प्रज्ज्वलन से हुई। व्याख्यान माला के संयोजक प्रशांत बडवे ने आभार माना। आखरी दिन भी युवाओं के लिए व्याख्यान पर आधारित क्विज रखी गई थी,जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने हिस्सा लिए। इस अवसर पर युवाओं को पुस्तकें भी वितरित की गई।

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