मालवा उत्सव में लोकनृत्यों के माध्यम से देशभक्ति का जगाया गया अलख

  
Last Updated:  May 30, 2022 " 06:41 pm"

लावणी, गुजराती गरबा, बरेदी,राम ढोल, ढोल कुनीथा, काठियावाड़ी रास ,भरतनाट्यम ,सिंधी छेज, की रही धूम।

इंदौर : गौरव दिवस के तहत मनाए जा रहे मालवा उत्सव में रविवार को देशभक्ति की भावना ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। गुजरात बारडोली से आए टीवीश व्यास समूह द्वारा वायलिन की धुन पर गुजराती लोक नृत्य गरबे की मनोहारी प्रस्तुति दी गई। आषाढ़ उमाराम मेघमल्हारम, दिल दिया है जान भी देंगे, जय हो जैसे देश भक्ति के तरानों पर गरबा पेश किया गया।

लोक नृत्यों की बिखरी सतरंगी छटा।

लोक संस्कृति मंच के संयोजक व सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि सागर से आए कलाकारों ने यादव समाज का प्रसिद्ध नृत्य जो भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं पर आधारित था, प्रस्तुत किया बोल थे “कौन गुजरिया की नजर लगी जे हलको डालें” यह कार्तिक मास की अमावस्या से पूर्णिमा तक किया जाता है। स्थानीय कलाकार आशीष पिल्लई के साथ करीब 20 से अधिक कलाकारों ने केरल का लोक नृत्य थिरूवादिराकली प्रस्तुत किया जिसमें महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती नजर आई वहीं भरतनाट्यम के द्वारा शिव आराधना भो शंभो शिव शंभो स्वयंभौ प्रस्तुत की। अंत में मातृभूमि को समर्पित नृत्य के माध्यम से भारत को विश्व गुरु बनाने की कामना दर्शाई गई।

डिंडोरी मध्य प्रदेश से धूलिया जनजाति के लोक कलाकारों द्वारा विवाह मांगलिक अनुष्ठानों पर किया जाने वाला नृत्य गुदुम बाजा प्रस्तुत किया उन्होंने हाथों व शरीर पर कोडियो से बने पट्टे पहने हुए थे। पिरामिड बनाकर उन्होंने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। आरंभ कत्थक स्टूडियो की दमयंती भाटिया के निर्देशन में 35 नृत्यांगनाओं ने शुद्ध कत्थक में गणेश वंदना जय जयति गज वदन के साथ शुरुआत की और अंत में काली स्तवन से दर्शकों की तालियां बटोरी, वहीं महाराष्ट्र से आए कलाकारों ने लयबद्ध व चपलता दर्शाते हुए प्रसिद्ध लोक नृत्य लावणी की प्रभावी प्रस्तुति दी। कर्नाटक से आए कलाकारों ने ढोल कुनिथा नृत्य लयबद्ध रूप से ढोल बजाकर उछल उछल कर प्रस्तुत किया। काठियावाड़ी रास जो गुजरात भावनगर के गोहिलवाड मे कोली जाति द्वारा किया जाता है प्रस्तुत किया, जिसमें सफेद वस्त्र पहनकर पांव में घुंघरू बांधकर डांडिया खेला गया। आमने-सामने बैठकर खूबसूरती से तालबध्द डांडिया खेलना सबके मन को भा गया। महाराष्ट्र मे विभिन्न खुशी के अवसर पर बजाए जाने वाला प्रसिद्ध ढोल पथक भी प्रस्तुत हुआ ।सिंधी समुदाय का पारंपरिक लोक नृत्य छेज भी प्रस्तुत किया गया जिसे “बदी जो नच” अर्थात डांस आफ यूनिटी एकता का नृत्य कहा जाता है। इसकी मुख्य विशेषता थी डांडिया द्वारा नृत्य करना, यह खुशी के मौके पर किया जाने वाला नृत्य है।

लोक संस्कृति मंच के नितिन तापड़िया रितेश पाटनी एवं कमल गोस्वामी ने बताया कि सोमवार 30 मई को गणगौर, कोली, गुजराती गरबा, काठियावाड़ी रास बरेदी, राम ढोल, लोक नृत्य होंगे।

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