इंदौर- { विपिन नीमा } टीम इंडिया के कई पुराने क्रिकेटर मैदान पर अपनी काबिलियत दिखाने के बाद राजनीति के मैदान में उतरे। इसके अच्छे परिणाम सामने नही आए क्योकि अधिकांश क्रिकेटर राजनीति की लंबी पारी खेले बगैर ही क्लीन बोल्ड हो गए। अब एक ओर क्रिकेटर अपना बल्ला टांग कर राजनीति के रास्ते पर निकल पड़ा है। यह क्रिकेटर टीम इंडिया का सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर है जिन्होंने गुरुवार को भाजपा का हाथ थाम लिया है।
बॉलीवुड के सितारे सफल।
क्रिकेटरों की तुलना में बॉलीवुड के कई सितारे आज भी राजनीति में चमक रहे है। आज कई राजनीतिक पार्टियों में बॉलीवुड के सितारे चमक रहे है । इनमें मंत्री, सांसद, प्रदेश अध्यक्ष बने हुए है।
गंभीर चुनाव लड़ेंगे या बनेंगे स्टार प्रचारक।
चूंकि गौतम गंभीर क्रिकेट में एक बड़ा नाम है। भाजपा ने इनके नाम का फायदा लेने के लिए पार्टी में शामिल कर लिया है। पार्टी उन्हें टिकिट देकर चुनाव मैदान में उतरेगी या स्टार प्रचारक बनाएगी। ये आगामी दिनों में पता चल जाएगा। यही से गंभीर की सक्रिय राजनीति का भविष्य तय होगा।
क्रिकेट से ज्यादा चुनोतीभरी होती है राजनीति।
सभी जानते है गौतम गंभीर एक इंटलीजेंट ओर गंभीर क्रिकेटर है । वे क्रिकेट को भलीभांति जानते हो , लेकिन देश की राजनीति में हिस्सा लेना कोई आसान काम नही है। जैसे क्रिकेट में केरियर बनाने के लिए एक शतक लगाना भी एक बड़ी चुनोती रहती है , ठीक उसी प्रकार राजनीति में खुद को स्थापित करना भी एक मुश्किल पारी खेलने के समान है। गौतम गंभीर यह अच्छी तरह जानते है कि टीम में बने रहने के लिए क्रिकेट के हर क्षेत्र में कुछ न कुछ करके दिखाना पड़ता है ।
ऐसे मुद्दे झेलना पड़ते है एक राजनेता को।
जबकि राजनीति में अपना मुकाम बनाना, विपक्षो से निपटना, आरोपो से बचना, जनता को फेस करना, विरोधियों पर हमला बोलना ओर पार्टी के कामकाजों को जनता के बीच ले जाना जैसे अनेक काम एक नए राजनेता के लिए कठिन काम है।
राजनीति में कैसा रहा क्रिकेटरों का प्रदर्शन।
नवजोत सिंह सिद्धू।
फिलहाल अमृतसर, पंजाब से लोकसभा सांसद हैं। नवजोत ने 2004 में पहली बार भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की।
मो अजहरुद्दीन।
पूर्व कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन ने 2009 में कांग्रेस से जुड़े ओर वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीट मुरादाबाद से लोकसभा चुनाव में खड़े हुए और सांसद चुने गए थे।
कीर्ति आजाद
भाजपा के वरिष्ठ नेता भागवत झा के पुत्र कीर्ति आजाद भी भाजपा में लंबी पारी खेलने के बाद पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल हुए है। इससे पहले भाजपा में रहते हुए दिल्ली की गोल मार्केट विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं। इसके बाद वह भाजपा के टिकट पर दरभंगा (बिहार) संसदीय सीट से चुनाव लड़े और सांसद चुने गए।
चेतन चौहान
पूर्व सलामी बल्लेबाज चेतन चौहान 90 के अंतिम माह में भापजा का हाथ थामा। वह 1991 और 1998 में अमरोहा (उत्तर प्रदेश) से संसद के लिए चुने गए। हालांकि उसके बाद तीन बार (1996, 1999 और 2004) उन्हें इसी सीट पर लगातार हार का सामना करना पड़ा।
मंसूर अली खान पटौदी
पूर्व कप्तान पटौदी ने 1971 में विशाल हरियाणा पार्टी के टिकट पर गुड़गांव से लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 1991 में कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
मनोज प्रभाकर।
क्रिकेट ऑलराउंडर मनोज प्रभाकर ने 1998 में दिल्ली में आम चुनाव के दौरान अपनी किस्मत आजमाई और हार गए।
विनोद कांबली।
2009 में राजनीति में प्रवेश किया और लोक भारती पार्टी से टिकट लेकर विक्रोली (मुंबई), महाराष्ट्र से चुनाव लड़ा। उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
चेतन शर्मा।
क्रिकेट से संन्यास के बाद 2009 में बसपा के टिकट पर फरीदाबाद से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें भी हार मिली।
मोहम्मद कैफ।
क्रिकेट के बाद 2014 में कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति शुरू की। 2014 लोक सभा चुनाव में पार्टी ने फूलपूर, इलाहबाद से टिकट देकर चुनाव लड़ा। दिया है। कैफ के साथ
एस श्रीसंथ।
आईपीएल में मैच फिक्सिंग के कारण उनका समय से पहले क्रिकेट खत्म हो गया। क्रिकेट करियर के बाद उन्होने 2016 में राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा और बीजेपी का दामन थामा अपने ही चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
सचिन तेंदुलकर।
क्रिकेट की दुनिया में सैकड़ों कीर्तिमान बनाने वाले सचिन ने अप्रैल 2012 में सचिन ने राज्य सभा की सदस्यता स्वीकार की , लेकिन सक्रिय राजनीति से दूर रहे।