🔸 नरेंद्र भाले 🔸
उन्होंने पहले बल्लेबाजी को चुना और उसके बाद ऐसा लगा कि आगाज ऐसा है तो अंजाम की कल्पना शेखचिल्ली के सपने देखने के समान है। यही फर्क है ऑस्ट्रेलिया और भारत के खिलाड़ियों के बीच। आईपीएल में फ्लाप रहने वाले एरोन फिंच , डेविड वॉर्नर और स्मिथ ने जिस अंदाज में गेंदबाजों का जुलूस निकाला, ऐसा लग रहा था मानो अनंत चौदस की झांकी में कोई खलीफा आगे तलवार लेकर चल रहा है और पीछे छर्रे अपना हुनर दिखा रहे हो।
आईपीएल में फ्लॉप फिंच के अलावा वॉर्नर और स्मिथ ने समय-समय पर अपनी उपस्थिति अवश्य दर्ज करवाई लेकिन पूरी तरह से उपेक्षित एडम जैम्पा और हेजलवुड ने पूरी शिद्दत से दिखा दिया कि उनके जैसे खिलाड़ियों की अनदेखी किसी भी टीम के लिए सबसे बड़ा नुकसान है।
कप्तान फिंच और मैन आॅफ द मैच स्टीवन स्मिथ के शानदार शतक के अलावा डेविड वॉर्नर ने भी दमदारअर्धशतक जमाया वही मैक्सवेल ने मात्र 19 गेंदों में 45 रनों का तूफानी कैमियों खेला। मोहम्मद शमी, बुमराह, नवदीप सैनी के अलावा कंगारुओं ने जिस अंदाज में यजुवेंद्र चहल का जुलूस निकाला वहां देखने लायक था।चहल के दस ओवर में 89 रन बल्लेबाजों के लाठीचार्ज को महामंडित करने के लिए पर्याप्त हैं। रविंद्र जडेजा भी बच नहीं पाए।
375 रनों का लक्ष्य दर्शाता है कि भारतीय गेंदबाजों ने लखपतियों जैसी गेंदबाजी की वहीं दूसरी तरफ नवाबी क्षेत्ररक्षण ने ऑस्ट्रेलिया की रन गति को पंख लगा दिए। एक लाइन में कहे तो छोडो़ कैच और हारो मैच। धवन, हार्दिक ,अय्यर ने छोडे हुए कैच महंगे साबित हुए। मतलब साफ है कि भले ही विकेट बल्लेबाजी के लिए आदर्श था लेकिन गेंदबाजों ने उस लेंथ पर गेंदे फेंकी जहां से आसानी से सुल्तानी ही नहीं आसमानी प्रहार भी किए जा सके।
उम्मीद तो थी इस आसान विकेट पर सात बल्लेबाजों के साथ खेल रही भारतीय टीम उम्दा जवाब देगी लेकिन आईपीएल के ब्रांड के सांडों ने गलत शाॅट का चयन कर खुद की ही दुर्गति करवा ली। मयंक अग्रवाल , श्रेयस अय्यर ,विराट कोहली ने ऐसे शॉट खेले जिसकी परीकथा में भी कल्पना नहीं की जा सकती। इस विकेट पर भले ही स्विंग नहीं था लेकिन लेकिन उछाल उसका चरित्र था, जिसका फायदा आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने भर पल्ले उठाया। वास्तव में भारतीय सुरमा अच्छी गेंद पर आउट नहीं हुए बल्कि घामड़ अंदाज में अपना विकेट थ्रो कर बैठे। अच्छा भला खेल रहे के एल राहुल तो लो फुलटाॅस पर अपना विकेट दे बैठे ।
शिखर धवन शुरुआत में बेहद अच्छा खेल रहे थे और ऐसा लग रहा था की एक उम्दा शतक देखने को मिलेगा लेकिन उन्होंने भी बेमन से ही अपना विकेट फेंका। दूसरे छोर पर हार्दिक पंड्या ने बेहद उम्दा पारी खेली। संयम के साथ साथ उनकी बल्लेबाजी में आक्रमण का भी तड़का था। बढ़ते दबाव में वे भी शतक से वंचित रह गए और अपना विकेट दे बैठे। हेजलवुड ने शुरुआत के 3 विकेट चट़का कर झटके अवश्य दिए लेकिन बाद में जैम्पा ने 4 विकेट चट़का कर बल्लेबाजों की न केवल कमर तोड़ी बल्कि भारत के लिए जीत के दरवाजे बंद कर दिए। वैसे तो झोलझाल मैक्सवेल ने भी किया ,उन्होंने दो आसान कैच टपका दिये लेकिन उसका फायदा उठाने में हमारे अत्याधिक पेशेवर खिलाड़ी नाकाम रहे।
विकेट के मिजाज को देखते हुए यह लक्ष्य कतई मुश्किल नहीं नजर आ रहा था लेकिन लेकिन हमारे खिलाड़ियों ने वास्तव में गंभीर प्रयास किए ही नहीं। यही तो फर्क है ऑस्ट्रेलिया और हमारे बीच। वह भले ही आईपीएल में नाकाम रहे लेकिन जहां देश की बात आई वहां उन्होंने अपना 100% दिया जबकि दूसरी तरफ हमारे खिलाड़ियों ने इस वनडे मैच को भी आईपीएल के अंदाज में खेल कर सारा गुड गोबर कर दिया। केवल कप्तान कोहली नहीं बल्कि सारे ही लजवाने वाली पराजय के लिए दोषी है। वैसे भी हमारा रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया में अधिकांश मौकों पर खराब ही रहा है। शुरुआत में हार जाते हैं और बाद में लीपापोती करने में लगे रहते हैं। यह आई पी एल नहीं और भारतीय विकेट भी नहीं ,आप कंगारुओं के देश में है जहां उछाल की जुंबिश कभी भी आप का मानमर्दन कर सकती है, ठीक वैसे ही जैसे कल हुआ।