इंदौर : एमजीएम मेडिकल कॉलेज में दो दिवसीय विज्ञान सम्मेलन एक्सपो के तहत ट्रेडिशनल और मॉडर्न हेल्थ केअर पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। विभिन्न सत्रों में सम्पन्न हुई इस संगोष्ठी में कई विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी।
आधुनिक जीवनशैली और स्वास्थ्य में पारम्परिक और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों की भूमिका पर फिजियोलॉजिस्ट डॉ. मनोहर भंडारी ने अपने विचार रखें। उन्होंने स्लाइड शो के जरिए बदलती जीवन शैली, खानपान में आए बदलाव और फ़ास्ट फ़ूड जैसे खाद्य पदार्थों के बढ़ते चलन को स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक बताते हुए उनसे होनेवाली बीमारियों पर भी प्रकाश डाला।
पाश्चात्य तौर- तरीके अपनाने का भुगत रहे परिणाम।
डॉ.भंडारी ने कहा कि आयुर्वेद सिर्फ चिकित्सा नहीं जीवन पद्धति है। 1819 तक आयुर्वेद से ही उपचार किया जाता था। बाद में अंग्रेजों ने अपनी संस्कृति के साथ उपचार पद्धति एलोपैथी को भी बढ़ावा देना शुरू किया। हमने अंग्रेजी को अपनाने के साथ उनकी संस्कृति को भी अपना लिया। अपनी जीवन शैली भूलकर हम पाश्चात्य जीवन पद्धति में रंग गए। यहां तक की उनकी खान- पान की आदतों को भी अपना लिया। वैज्ञानिक कसौटी पर खरी उतरी हमारी पारम्परिक जीवन शैली और दिनचर्या को हमने भुला दिया। इसी का खामियाजा हम आज भुगत रहे हैं।
युवावस्था में ही हो रहीं गंभीर बीमारियां।
डॉ. भंडारी ने कहा कि ध्यान, योग, प्राणायाम, व्यायाम और पौष्टिक खान- पान छोड़कर फ़ास्ट फ़ूड जैसे विदेशी खान- पान को अपनाने से कैंसर, मधुमेह, बीपी, हार्टअटैक और अन्य गंभीर बीमारियां युवावस्था में ही लोगों को अपना शिकार बना रहीं हैं। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि हम अपनी जड़ों की ओर लौटें और हमारी स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली को फिर से अपनाएं।
कोरोना के उपचार को लेकर भी हुआ सार्थक संवाद।
एमजीएम मेडिकल कॉलेज के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. सलिल भार्गव ने बताया राज्यस्तरीय विज्ञान सम्मेलन में एलोपैथी के साथ होम्योपैथी और आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने भी शिरकत कर अपने विचार रखें। कोरोना नियंत्रण को लेकर तीनों उपचार पद्धतियों के समन्वित प्रयासों को लेकर भी सम्मेलन में चर्चा की गई। यहां हुए विचार- मंथन को लेकर एक रोडमैप बनाया जाएगा और उसे प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा।