शॉक ट्रीटमेंट के जरिए काबू की गई नवजात के दिल की धड़कन

  
Last Updated:  February 5, 2022 " 07:28 pm"

इंदौर : शहर में पहली बार 23 दिन के बच्चे की धड़कन को काबू करने और उसकी जान बचाने के लिए डॉक्टर ने उसे डीसी शॉक लगाया। इससे ना केवल नवजात की धड़कन काबू में आ गई बल्कि उसकी जान भी बच गई। नवजात की जान बचने से उसके माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों ने डॉक्टर को धन्यवाद दिया। दरअसल 23 दिन के बच्चे का वजन मात्र 3 किलो था और इस नवजात शिशु को पिछले 1 सप्ताह से दूध पीने में समस्या आ रही थी। बच्चा लगातार रो रहा था और सो भी नही पा रहा था। करीब 6 दिन पहले भी इसको परिजन इंदौर लेकर आए थे तब भर्ती की सलाह दी गयी थी लेकिन किसी कारणवश परिजन वापस चले गए थे। पिछले 6 दिन से बच्चा इसी तरह से परेशान हो रहा था लेकिन परिजन को समझ नही आ रहा था कि क्या करें। दिनांक 22 जनवरी को वे वापस बच्चे को इंदौर लेकर आए और लोटस हेल्थ केयर में डॉ. जफर खान के अधीन भर्ती किया।

350 से ज्यादा थी बच्चे की धड़कन।

बच्चे का ईको, और ईसीजी करने पर पता चला कि उसकी धड़कन 350 से भी ज्यादा चल रही थी। अत्यधिक धड़कन की वजह से बच्चे का हृदय काम नही कर रहा था और हार्ट फेलियर की स्थिति बनी हुई थी। लगातार धड़कन का दो से ढाई गुना ज्यादा होने की वजह से लिवर और फेफड़ों मे सूजन बनी हुई थी, जिसकी वजह से बच्चे को ये सब तकलीफ हो रही थी।

PSVT नामक बीमारी से ग्रसित था नवजात।

22 जनवरी को भर्ती करने के बाद शिशु की जांच करने पर पता चला कि बच्चा PSVT (paroxy smalsupra ventricular tachycardia) नाम की बीमारी से ग्रसित है, जिसकी वजह से हृदय गति सामान्य से 2-3 गुना ज्यादा बनी हुई थी। PSVT में हृदय में इलैक्ट्रिकल करेंट का शॉर्ट-सर्किट होने लगता है। जिससे हृदय में करेंट उल्टी दिशा में घूमने लगता है और हृदय की गति बढ़ जाती है। PSVT 20000 – 25000 में से 1 नवजात शिशु को होने की संभावना होती है। यह जन्म के पहले भी हो सकती है और बाद में भी। बच्चे को भर्ती के बाद ऑक्सीजन के अलावा दूसरी स्टैंडर्ड दवाएँ जैसे adenosin, amiodaron दी गयी लेकिन बच्चे की स्थिति बिगड़ती जा रही थी और हार्ट फ़ेल की स्थिति बनी हुई थी। कोई भी स्टैंडर्ड दवा काम नही कर रही थी, इसलिए बच्चे की स्थिति को देखते हुए DC-cardioversion देने का प्लान किया गया। बच्चे की उम्र और वजन के हिसाब से DC-cardiversion रिस्की हो सकता था, लेकिन और कोई दवा काम न करने की वजह से माता-पिता की सहमति से DC-cardioversion (shocktherapy) दी गयी। वजन के अनुसार बच्चे को 4 जूल का शॉक दिया गया। शॉक देने के कुछ सेकंड बाद ही धड़कन काबू मे आ गयी और हार्टबीट 140-150 के बीच पहुंच गयी।

पहली बार किसी नवजात को दी शॉक थेरेपी।

डॉ जफर खान के अनुसार उन्होने अपने 25 साल के डॉक्टरी पेशे में पहली बार इतने छोटे बच्चे को DC शॉक दिया। DC शॉक के बाद हृदय गति सामान्य तो हुई ही, इसके साथ ही बच्चे की दूसरी समस्या जैसे रोना कम हो गया और दूध भी पीने लग गया। अब बच्चे को कुछ अन्य दवा देने की जरूरत रहेगी जो सिरप या टेबलेट के रूप में रहेगी और उसे अगले कुछ माह देना होगा। डॉ जफर खान के अनुसार इतने छोटे नवजात शिशु मे DC शॉक थेरेपी का इंदौर मे संभवतः यह पहला मामला है। अगर यह बच्चा समय पर भर्ती हो गया होता तो शायद स्टैंडर्ड दवा से ठीक हो जाता, DC शॉक की जरूरत नही पड़ती। DC शॉक में जान जाने का ख़तरा भी रहता है। अगर DC शॉक देने वाला अनुभवी न हो तो।

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