स्वार्थ सिद्धि के लिए रामचरित मानस को लेकर खड़ा किया जा रहा विवाद

  
Last Updated:  February 9, 2023 " 10:42 pm"

रामचरित मानस की चौपाई जातिसूचक नहीं।

चौपाई के अर्थ और भावार्थ को गहराई से समझने की है जरूरत।

बोले अयोध्या के संत स्वामी चेतनदास महाराज।

इंदौर: संत श्री तुलसीदास रचित श्री रामचरित मानस की एक चौपाई को लेकर आपत्तिजनक बयान देने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को सोशल मीडिया पर जमकर लानत भेजी जा रही है। मौर्य का बयान राजनीति से प्रेरित और समाज में वैमनस्य पैदा करने वाला बताया जा रहा है। इंदौर से ताल्लुक रखने वाले अयोध्या के निवासी स्वामी चेतन दास महाराज ने साफ किया कि रामचरित मानस की जिस चौपाई को लेकर बेवजह का विवाद खड़ा किया जा रहा है, वह जातिसूचक है ही नहीं। उसके अर्थ को समझने की जरूरत है।

चौपाई को जातिसूचक सिद्ध करने वालों को देंगे 11लाख का इनाम।

स्वामी चेतनदास महाराज ने स्वामी प्रसाद मौर्य सहित तमाम लोगों को चुनौती दी कि वे रामचरित मानस की उक्त चौपाई जिसपर विवाद खड़ा किया जा रहा है, को जातिसूचक सिद्ध करके दिखाएं, वे उसे 11 लाख का इनाम देंगे। उन्होंने कहा कि कतिपय लोग अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए इस तरह के फिजूल विवाद खड़े कर रहे हैं। इसके बहाने देश में जातिवाद का जहर घोला जा रहा है।

माता शबरी को ईश्वर तुल्य दर्जा दिया है।

स्वामी चेतनदास ने कहा कि रामायण व रामचरित मानस जैसे ग्रंथों में माता शबरी को भी देवता तुल्य होने का दर्जा दिया गया है। नारी हमारे यहां सदैव पूजनीय रही है।

अमर्यादित आचरण करने वालों को अधम, शुद्र कहा।

स्वामी चेतनदास ने स्पष्ट किया कि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की एक चौपाई में अमर्यादित आचरण करने वाली, धर्म के खिलाफ जाकर अनुचित कर्म करने वाली नारी को अधम कहा है। चौपाई के असली अर्थ और भावार्थ को समझने की जरूरत है।

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