हिंदी के साथ भारतीय भाषाओं में भी मेडिकल की पढ़ाई करवाने पर किया जा रहा विचार – डॉ. वणिकर

  
Last Updated:  November 12, 2022 " 09:58 pm"

इंदौर : एमजीएम मेडिकल कॉलेज परिसर में आयोजित छठे अखिल भारतीय मेडिविजन सम्मेलन का शुभारंभ शनिवार को यूजी बोर्ड एनएमसी की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वी वणिकर के मुख्य आतिथ्य में हुआ। डॉ. सुब्बिया षणमुगम और एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित कार्यक्रम में विशेष अतिथि के बतौर मौजूद रहे।

भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई पर विचार कर रहा एन एम सी।

इस मौके पर अपने विचार रखते हुए डॉ. अरुणा वणिकर ने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन हिंदी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं में भी मेडिकल की पढ़ाई करवाने पर विचार कर रहा है, ताकि छात्र ज्यादा आसानी से पाठ्यक्रम को समझ और सीख सकें। उन्होंने कहा कि मप्र में तो हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई प्रारंभ भी हो गई है और उसकी किताबें भी उपलब्ध हो गई हैं। डॉ. वणिकर ने कहा कि तकनीकि शब्दावली इंग्लिश में ही रहेगी, उसमें कोई परिवर्तन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि चीन, फ्रांस, जापान जैसे बड़े देशों में उनकी अपनी भाषा में ही मेडिकल की शिक्षा दी जाती है, ऐसे में हमें भारतीय भाषाओं में मेडिकल की पढ़ाई करवाने में परेशानी क्यों होनी चाहिए।

चरक शपथ, योगासन और परिवार गोद लेने का प्रस्ताव।

डॉ. वणिकर ने कहा कि यूजी बोर्ड एनएमसी ने मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए तीन प्रस्ताव तैयार किए हैं। पहला चरक शपथ, चरक वो महान ऋषि थे जिन्होंने चरक संहिता के जरिए उस दौर में दुनिया को चिकित्सा विज्ञान का पाठ पढ़ाया जब मेडिकल शिक्षा जैसा कुछ होता है यह किसी को पता भी नहीं था। कई लोग इस प्रस्ताव का विरोध भी कर रहे हैं पर हमारी धरोहर को सामने लाने की दृष्टि से यह जरूरी है। दूसरा, योगासन को मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए अनिवार्य करना। अब पूरी दुनिया में योगासन की मान्यता है। इससे स्टूडेंट्स तनाव से मुक्त होने के साथ स्वस्थ्य रह सकेंगे। इससे उनकी कार्यक्षमता भी बढ़ेगी। तीसरा, ग्रामीण इलाकों में पढ़ाई के दौरान ही पांच ऐसे गरीब परिवारों को गोद लेना जो इलाज करवाने में सक्षम नहीं हैं। इससे स्टूडेंट्स में मानवीय संवेदना एवम सेवा का भाव जागृत होगा और वे पैसों के पीछे भागने से बचेंगे।

खुद को रोल मॉडल बनाएं।

यूजी बोर्ड एन एम सी की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वणिकर ने सम्मेलन में आए प्रतिभागी छात्रों को डॉ. रवींद्र कोल्हे और डॉ. उल्हास जाजू जैसे चिकित्सकों का उदाहरण दिया जिन्होंने अपना सारा जीवन गरीबों, वंचितों की सेवा में समर्पित कर दिया। डॉ. वणिकर ने कहा कि मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए ऐसे डॉक्टर्स रोल मॉडल हैं। वे भी गरीबों, वंचितों की सेवा कर खुद को रोल मॉडल बना सकते हैं।

शोध पर दें ध्यान।

डॉ. वणिकर ने डॉक्टर्स और मेडिकल स्टूडेंट्स से आग्रह किया कि वे शोध पर ध्यान दें और नवाचारों के बारे में अधिक से अधिक आर्टिकल लिखकर जर्नल्स में प्रकाशित करवाएं।

विशेषज्ञ डॉक्टरों का बना रहें समूह।

यूजी बोर्ड एनएमसी की अध्यक्ष डॉ. वणिकर ने बताया कि मेडिकल कॉलेजेस में टीचर्स की कमी को देखते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन विशेषज्ञ डॉक्टर्स का समूह बनाने जा रहा है, जो सेमिनार, ऑनलाइन चर्चा सत्र और अन्य माध्यमों से स्टूडेंट्स को समुचित मार्गदर्शन दे सकेंगे। उन्होंने ऐसे मेडिकल टीचर्स के नाम एनएमसी को भेजे जाने का भी आग्रह किया।

डॉ. सुब्बिया षणमुगम और डीन डॉ. संजय दीक्षित ने भी इस अवसर पर छात्रों को मार्गदर्शन दिया।

इनका हुआ सम्मान।

इस मौके पर कोविड़ काल में उल्लेखनीय कार्य करने वाले डॉ. भदौरिया, डॉ. महक भंडारी, डॉ. पीएस ठाकुर, अनिल खारिया, मयंक भदौरिया और अन्य का अतिथियों के हाथों सम्मान किया गया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने किया। उद्घाटन सत्र के बाद दिनभर में प्रतिभागी छात्रों के लिए विभिन्न विषयों पर कई सत्र रखे गए। चिकित्सा शिक्षा के नए आयामों से छात्रों को अवगत कराने के साथ उन्हें सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ने का प्रयास किया गया।

बता दें कि दो दिवसीय इस सम्मेलन में देशभर से करीब 800 मेडिकल और डेंटल स्टूडेंट्स भाग ले रहे हैं।

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