32 वे ओलिम्पिक में 48 वे स्थान पर रहा भारत

  
Last Updated:  August 10, 2021 " 06:45 pm"

32 वें ओलंपिक की बिदाई 8 अगस्त 2021 को हो गई। अब 33 वेंओलंपिक पेरिस में 2024 में होगे। जापान को अरिगातो याने धन्यवाद देगें जिसने कोरोना महामारी के बीच निर्धारित तारीख से एक साल बाद ही सही सफलतापूर्वक दुनिया के सबसे बडे खेल महाकुंभ का आयोजन किया, अभी टोक्यो में 24 अगस्त से 5 सितम्बर तक पेरालंपिक खेल भी होना हैं।
ओलंपिक में अमेरिका ने अपनी बादशाहत कायम रखी लेकिन चीन और जापान कडी चुनौती बन गए। भारत ने ओलंपिक इतिहास में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन किया। पदक तालिका में भी दूसरी बार 50 से कम में जगह बनाई, भारत 1980 मास्को में 23 वें स्थान पर रहा था। मास्को के बाद 2008 बीजिंग में स्वर्ण मिला तो, भारत पदक तालिका में50 वें स्थान पर आया, 2012 में 6 पदक (2 रजत) लेकर भारत 56 वें और 2016 में मात्र दो पदक के सहारे 67 वें स्थान पर रहा।
इस बार 63 देशों ने स्वर्ण पदक जीते हैं। भारत 1स्वर्ण, 2 रजत सहित 7 पदकों के साथ 48 वें स्थान पर आया है। नीरज चौपडा आखिरी दिन स्वर्ण नही लाते तो भारत 68 वें स्थान पर रहता। इस बार 93 देशों ने पदक जीते हैं। 8 देशों ने 1-1कांस्य पदक जीतकर 86 वाँ स्थान हासिल किया हैं। सानमारिनो ने मात्र 5 खिलाड़ी भेजकर 1रजत सहित 3 पदक जीत लिए। बुर्किन फासो को पदक मिल गया ,डोमेनिका रिपब्लिक 3 रजत सहित 5 पदक ले गए
और हम…
अब तक पुरुष हाँकी के 8 स्वर्ण सहित 10 स्वर्ण ही जीत सके है।
टीम खेलों में इस बार हाँकी की सफलता को निकाल दें तो हमारी स्थिति दुनिया के टीम खेलों में शून्य ही है।

अमेरिका 39 स्वर्ण,41रजत सहित 113 पदक और चीन 38 स्वर्ण, 32 रजत सहित 88 पदक ले गया। मेजबान जापान ने 27 स्वर्ण,14 रजत सहित 58 पदक जीते। कुल पदकों में ब्रिटेन 65 और रुस (ROC)71 जापान से आगे रहे, अगला मेजबान फ्रांस इस बार आठवें स्थान पर रहा है।
हमें इस बार सफलता शासन के प्रयासों का ही नतीजा है जो बेहतर और विदेशी प्रशिक्षक, विदेश में प्रशिक्षण की सुविधाएं, साधन उपलब्ध कराए।
शीर्षस्थ में आने के लिए तो हमें खेलों का माहौल बनाना होगा, इन पदकों की सफलता की लोकप्रियता का फायदा उठाकर खेलों में शुरुआती और मैदानी स्तर पर साधन-सुविधाओं
का प्रबंध करना होगा, खेलों को शिक्षा के साथ जोडकर खेलों की सफलता पर शिक्षा में बोनस अंकों के साथ शुमार करने, स्टेडियम, इनडोर हाल के निर्माण और प्रशिक्षकों की बेहद जरूरत हैं, अभिभावकों (पैरैंटस) में जागरूकता लानी होगी कि बच्चों को खिलाने से भी शिक्षा में फायदा और भविष्य बनेगा। देश को अस्पतालों से अधिक खेल केंद्रों, मैदानों की जरूरत है, तभी हम और अधिक पदकों का दम भर सकते हैं, हम और नीरज चौपडा, रवि कुमार दहिया, मीरा बाई चानु, पी.वी.सिंधु, लवलीना बोरगोहेन और बजरंग पुनिया की गुंजाइश कर सकते हैं। हाँकी सहित टीम खेलों को हाकंने का ध्यान ‘चंद’लोगों के देने से कुछ नही होगा, खेल का माहौल बनाना होगा।

धर्मेश यशलहा
सरतज अकादमी
स्मैश

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *