इंदौर; लम्बी जद्दोजहद और कई दावेदारों के दावों को कसौटी पर परखने के बाद आखिरकार शंकर लालवानी के नाम पर बीजेपी आलाकमान ने मुहर लगा दी। 75+ होने से 8 बार की सांसद और अजेय योद्धा सुमित्रा महाजन को टिकट नहीं दिया गया पर उनका विकल्प ढूंढने में पार्टी को पसीने छूट गए। ढेरों दावेदार खड़े हो गए। कई तो ऐसे थे जिन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा पर इंदौर से टिकट पाने के ख्वाब देख रहे थे।
विरोध के चलते होल्ड पर रख दिया था ललवानी का नाम।
दो- तीन दिन पहले ललवानी का नाम लगभग तय हो गया था केवल घोषणा होना बाकी थी पर कुछ शुभचिंतक और अन्य दावेदारों ने पेंच फंसा दिया। इसके चलते मामला अटक गया। अब जब नामांकन की तारीख पास आ गई तो पार्टी आलाकमान को फैसला लेना ही पड़ा और शंकर लालवानी को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया।
अटकलों पर लगा विराम।
सुमित्रा ताई को टिकट नकारने के बाद अटकलों का दौर चलता रहा। पीएम मोदी के इंदौर से लड़ने की चर्चाओं के चलते तो इसे हाइप्रोफाइल सीट माना जाने लगा था। इसके अलावा पैराशूट प्रत्याशी के बतौर नितिन गडकरी का नाम भी खूब उछाला गया। हालांकि कांग्रेस की ओर से पंकज संघवी को प्रत्याशी बनाए जाने के बाद ये तय हो गया था कि कोई स्थानीय नेता ही बीजेपी का उम्मीदवार होगा और वही हुआ भी।
शिवराज ने लगाया जोर।
शंकर लालवानी का नाम ताई ने आगे बढाया जरूर था पर टिकट दिलवाने में पूर्व सीएम शिवराज सिंह ने बड़ी भूमिका निभाई। उन्होंने पुरजोर ढंग से लालवानी का समर्थन किया। यही कारण है कि दौड़ से बाहर होते दिखाई दे रहे लालवानी टिकट पाने में कामयाब हो गए।