निगम की रिमूवल गैंग को सेना से मिलती – जुलती वर्दी पहनाना गैरकानूनी

  
Last Updated:  May 15, 2024 " 06:59 pm"

आम नागरिक नहीं कर सकता सेना की वर्दी और उससे जुड़े लोगो, प्रतीक चिन्हों का इस्तेमाल।

सेना, नौसेना और वायुसेना से मिलती – जुलती वर्दी पहनने या प्रतीक चिन्ह धारण करने पर सजा व जुर्माने का है प्रावधान।

इंदौर : निगमायुक्त शिवम वर्मा ने नगर निगमकर्मियों के लिए ड्रेस कोड तय करने की कवायद के चलते निगम की रिमूवल गैंग को भारतीय सेना से मिलती – जुलती वर्दी पहना दी है। इसके पीछे उनका तर्क है कि इससे निगमकर्मियों में अनुशासन का भाव जागेगा, वहीं आम जनता को भी उन्हें पहचानने में आसानी होगी। उनका ये भी कहना है कि इस तरह का प्रयोग में ग्वालियर में कर चुके हैं।महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी इस फैसले से सहमति जताई है, लेकिन आम लोगों को निगमायुक्त का यह निर्णय रास नहीं आया है।उन्होंने सोशल मीडिया पर कमेंट करते हुए रिमूवल गैंग को सेना की वर्दी पहनाने को सेना का अपमान बताया है।

सामान्य नागरिक नहीं पहन सकते सेना की वर्दी।

इस बारे में जब पड़ताल की गई तो पता चला कि गृह मंत्रालय ने
सभी राज्यों को निर्देश कर रखे हैं कि जो लोग भी अनाधिकृत तरीके से आर्म्ड फोर्स (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) की वर्दी या उसके जैसी दिखने वाली यूनिफॉर्म पहनते हैं. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा-140 और 171 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। ये भी जानकारी मिली है कि
राष्ट्रपति, पीएम, रक्षामंत्री, अफसरों और जवानों के अलावा कोई भी व्यक्ति आर्मी की ड्रेस नहीं पहन सकता है।

आईपीसीसी के तहत ये है प्रावधान :-

आईपीसी की धारा-140 के मुताबिक अगर कोई यह दिखाने के लिए कि वह आर्म्ड फोर्सेस का हिस्सा है और आर्मी, नेवी या एयरफोर्स की तरह दिखने वाले कपड़े पहनता है या प्रतीक चिन्ह का इस्तेमाल करता है तो उसे अधिकतम तीन महीने तक की जेल और 500 रुपये का जुर्माना हो सकता है।

सेना की वर्दी का इस्तेमाल कॉपीराइट का भी है उल्लंघन।

वरिष्ठ विधि विशेषज्ञ अभिनव धनोतकर के अनुसार सेना और अर्द्धसैनिक बलों की वर्दी, लोगो व अन्य प्रतीक चिन्हों का अपना प्रोटोकाल और गरिमा होती है, जिसे हर कोई इस्तेमाल नहीं कर सकता। इसे लेकर नियम बने हुए हैं। इनका आम लोगों द्वारा इस्तेमाल गैरकानूनी है। उन्होंने बताया कि सेना के पास जवानों और अधिकारियों द्वारा पहनी जाने वाली वर्दी, लोगो, प्रतीक चिन्ह, कंधे पर लगने वाले स्टार आदि का पेटेंट होता है। कोई बाहरी व्यक्ति इनका या इनसे मिलती – जुलती वस्तुओं का इस्तेमाल करता है तो वह कॉपीराइट एक्ट का भी उल्लंघन है। सेना की वर्दी और उसके प्रतीक चिन्हों का निर्माण और खरीदी – बिक्री सामान्य रूप से नहीं की जा सकती। इनका विक्रय सेना के अधिकृत कैंटीन से ही किया जा सकता है।

आईपीसी की धारा 140 और 171 में है सजा का प्रावधान।

कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक आईपीसी की धारा 140 और 171 बताती है कि जो व्यक्ति सेना, नौसेना और वायुसेना का हिस्सा न होते हुए भी उनकी या उनसे जुड़ी वर्दी, लोगो, निशान अथवा प्रतीक चिन्ह धारण करता है तो इसे अपराध माना जाएगा। इसको लेकर तीन माह का कारावास और 500 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।

इन तमाम नियमों और कानूनी पहलुओं को देखा जाए तो निगमायुक्त का निगम की रिमूवल गैंग को सेना से मिलती – जुलती वर्दी पहनाने का निर्णय पूरी तरह गलत और गैरकानूनी प्रतीत होता है, जिसे त्वरित वापस लिया जाना चाहिए।

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