इंदौर : नगर निगम की सब्जी बास्केट और फ्रूट बास्केट योजना पर ग्रहण लगता हुआ नजर आने लगा है। अब लोग मजबूरी में ही फ्रूट बास्केट और सब्जी बास्केट खरीदते हैं ।इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि नगर निगम फ्रूट बास्केट और सब्जी बास्केट की गुणवत्ता पर नियंत्रण नहीं रख पाया। ज्यादातर खरीददार खरीदने के बाद पछताते हैं । उनकी बास्केट में खराब सब्जियां और फल मिल रहे हैं। इस योजना में एक बार आर्डर करने के बाद खराब गुणवत्ता के फल या सब्जी आने पर उन्हें वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए धीरे-धीरे यह दोनों योजनाएं दम तोड़ती जा रही हैं। दूसरी ओर इसी के चलते ही शहर में अवैध रूप से सब्जी और फलों का क्रय विक्रय ज्यादा दामों पर भी हो रहा है। नगर निगम में जिस अपर आयुक्त को यह जिम्मेदारी दी है वे इसे पूरी तरह नहीं निभा पा रहे हैं । इसके चलते सब्जी और फ्रूट की आपूर्ति करने वाले व्यापारी खराब सब्जियां और फल लोगों तक पहुंचा देते हैं। कई खरीददारों ने बताया कि उनके यहां जो सब्जी प्राप्त हुई वह इतनी खराब थी कि वे उसका उपयोग तक नहीं कर पाए। यही हालत फ्रूट बास्केट की भी है। एक खरीददार ने बताया कि उनकी ढाई सौ रु की फ्रूट बास्केट में सिर्फ मोसंबी ही अच्छी निकली। पपीता और आम इतने खराब थे कि फेंकना ही पड़े। निगमायुक्त श्रीमती प्रतिभा पाल को भी लगातार ऐसी शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। यही कारण है कि शुरुआती दौर में जहां 10 हजार से ऊपर सब्जी बास्केट और फ्रूट बास्केट के आर्डर निगम को मिल रहे थे वही अब यह संख्या 3-4 हजार तक ही रह गई है।
नगर निगम की बास्केट में निकल रहे खराब गुणवत्ता के फल और सब्जी
Last Updated: May 29, 2020 " 10:15 am"
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