इंदौर : बड़ा गणपति के समीप पिलियाखाल स्थित प्राचीन हँसदास मठ में आयोजित नानीबाई के मायरे कथा का रविवार को समापन हुआ। ओंकारेश्वर से आए पंडित विवेक कृष्ण शास्त्री ने अंतिम दिन भी कथा के प्रेरक प्रसंगों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि भगवान को सबकुछ मंजूर है पर भक्त के दुःख और आंसू नहीं। अगर भक्ति निश्छल हो तो भगवान कृपा करने स्वयं चले आते हैं। इस मौके पर मायरे का उत्सव भी जीवन्त स्वरूप में मनाया गया।
तीन दिवसीय नानीबाई के मायरे की कथा महामंडलेश्वर स्वामी रामचरण दास के सान्निध्य में आयोजित की गई थी जिसका बड़ी संख्या में भक्तों ने लाभ लिया।
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