लाडली बहना…इतना कड़वा क्यों कहना

  
Last Updated:  June 14, 2023 " 06:59 pm"

🔸चुनावी चटखारे🔸

🔸कीर्ति राणा🔸

उमा भारती के मूड को आज तक शायद ही कोई समझ पाया हो…अब देखिये ना पूरे प्रदेश में जब हजार रु मिलने पर अपने भाई शिवराज सिंह की लंबी उम्र के लिए कामना की जा रही थी तब उमा भारती ने कहा था शिवराज की पहली लाड़ली बहना तो मैं ही हूं। शिवराज समर्थक खुश हो गए थे कि चलो अब सब ठीक हो गया लेकिन एक दिन बाद ही लाड़ली बहना ने कुछ ऐसी तल्खी दिखाई की भैया शिवराज भी सोचने लगे होंगे ये कैसा प्यार है लाड़ली बहना का, उमा भारती ने वो सच कहने का साहस दिखाया जो भाजपा में छोटे-बड़े कार्यकर्ता-नेता सब जानते तो हैं लेकिन कहने की हिम्मत नहीं कर पाते। इन चुनावी महीनों में शायद ही कोई दिन हो जिस दिन सरकार नित-नए इवेंट, खर्चीली आम सभा आयोजित नहीं कर रही हो।
लाड़ली बहना ने कड़वा सच कह दिया कि सरकार इस फिजूलखर्ची की अपेक्षा अस्पतालों की दशा और स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के बारे में गंभीरता से सोचे। लाड़ली बहना की यह पीड़ा इसलिए भी थी कि उन्हें विदिशा के अस्पताल में हेल्थ चेकअप के लिए जाना पड़ा। वहां जो हाल देखा तो यही कहा कि जब विदिशा में यह हाल है तो बाकी जिलों में स्वास्थ्य सेवा-अस्पतालों की कैसी दुर्दशा होगी।

कहां तो अहाते बंद करने का निर्णय लेकर मुख्यमंत्री ने उमा भारती का दिल जीत लिया था। ये बात अलग है कि अहाते बंद होने के बाद से शराबियों को चाहे जहां पीने-बहकने की आजादी मिलने के साथ ही पुलिस और आबकारी की एक्स्ट्रा इनकम में भी इजाफा हो गया है। शराब और आसानी से मिलने-बिकने लग गई है। इस सब के बावजूद अपनी इस लाड़ली बहना के लिए इस सब से आंखें मूंद रखी थी। अब स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा बता कर उमा भारती ने बैठे बिठाए विपक्ष को एक मुद्दा दे दिया है, सरकार समर्थक हैरान हैं कि ऐसा क्यों कहना पड़ा बहना को।

महाकाल लोक की मूर्तियों के इतने भाव !

उज्जैन के महाकाल लोक में तेज आंधी का शिकार हुई सप्तऋषियों की मूर्तियों की लागत कितनी होगी, अलग-अलग नेता अपने हिसाब से भाव बता रहे हैं। कांग्रेस की जांच समिति के सदस्य-पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने 10 लाख, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने 47 तो सरकार के मंत्री भूपेंद्र सिंह ने 40 लाख लागत बता दी।ऊपर से तुर्रा यह कि सज्जन वर्मा ने दिग्विजय सिंह वाले भाव को लेकर यह भी कह डाला कि उन्हें सही जानकारी नहीं है जिले का प्रभारी मंत्री तो मैं रहा हूं।

सुनो-सुनो-सुनो कक्काजी जाग गए हैं।

याद होगा जब सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कक्काजी ने हजारों समर्थकों के साथ भोपाल में ऐतिहासिक घेराव कर शिवराज सरकार की नाक में दम कर दिया था।चुनाव नजदीक आते ही शिव कुमार शर्मा यानी कक्काजी फिर जाग गए हैं। शिवराज सिंह कितने समय से सीएम हैं, भाजपा कार्यकर्ताओं को भी सही जानकारी नहीं होगी लेकिन कक्काजी को पता है 18 साल 6 महीने से हैं। बीच के 15 महीने कमलनाथ थे। किसानों को लामबंद करने वो 1 अगस्त से किसान यात्रा पर निकलने वाले हैं। उनका कहना है किसानों को सम्मान निधि नहीं फसलों के वाजिब दाम दे सरकार।उनकी आवाज दमदार इसलिए भी होती जाएगी क्योंकि वे राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष की हैसियत से बोल रहे हैं।

जवाब तो मांगेगी जनता।

कांग्रेस ने प्रियंका गांधी की जबलपुर यात्रा से प्रदेश में चुनावी शंखनाद क्यों किया, इसे भाजपा कार्यकर्ता समझ चुका है कि शिवराज सरकार ने जबलपुर-महाकौशल से एक भी विधायक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं कर मतदाताओं के विश्वास की अनदेखी की है। इस असंतोष को भुनाने के लिए ही प्रियंका की यात्रा के लिए जबलपुर का चयन किया गया है।

कितनी सामान्य थी वो हजारों फाइलें ।

सतपुड़ा भवन में पंद्रह साल में तीसरी बार लगी आग के बाद उठ रही बयानों की लपटों पर हास्यास्पद बयानों का छिड़काव किया जा रहा है। कांग्रेस का आरोप है कि घोटाले वाली फाइलों को जला डाला। एक मंत्री जी ने बयान दे डाला जो फाइलें जली हैं वो सब सामान्य थीं, जिन विभागों से संबंधित थीं, उनका किसी घोटाले से ताल्लुक नहीं है। कर्मचारियों का कहना है घपले-घोटालो-जांच की बातें सरकार जाने। फाइलें यदि सामान्य भी हैं तो कर्मचारियों की सेवा अवधि, पदोन्नति, सुविधाओं का रिकार्ड तो है ना तो सामान्य फाइलें कैसे हुईं? चुनावी जंग में ये आग और भड़केगी।

Facebook Comments

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *