नई दिल्ली: सरकारी बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाकर भागे शराब कारोबारी विजय माल्या के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण का रास्ता साफ हो गया है। सोमवार को सुनवाई के बाद लंदन कोर्ट ने माल्या के प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी। अगस्ता वेस्टलैंड सौदे के बिचौलिये मिशेल के प्रत्यर्पण के बाद माल्या के मामले में मिली सफलता को मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
किंगफिशर एयरलाइंस के मालिक और शराब कारोबारी विजय माल्या पर मनी लॉन्ड्रिंग के साथ बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपया नहीं चुकाने का आरोप है। 2016 में माल्या देश छोड़कर भाग गया था, उसके बाद से ही उसे वापस लाने की कवायद चल रही थी। पिछले साल अप्रैल में उसके खिलाफ प्रत्यर्पण वारंट जारी हुआ था। लंदन में मजिस्ट्रेट की अदालत में उसका केस चल रहा था। प्रत्यर्पण को लेकर अपना पक्ष रखने ईडी और सीबीआई का संयुक्त दल वहां गया था।
हाइकोर्ट जाने का है विकल्प
मजिस्ट्रेट का फैसला ब्रिटिश सरकार के गृह विभाग को भेजा जाएगा वह इसपर निर्णय करेगा। हालांकि मजिस्ट्रेट की अदालत के फैसले के खिलाफ माल्या ब्रिटिश हाइकोर्ट में भी अपील कर सकेंगे।
मूलधन चुकाने को तैयार है माल्या
सुनवाई के पूर्व लंदन में मीडिया से माल्या ने कहा कि उनपर धोखाधड़ी का आरोप गलत है। उन्होंने भारतीय बैंकों से लिये कर्ज का पूरा मूलधन चुकाने की पेशकश की है। कर्नाटक हाइकोर्ट में उनकी ओर से इस आशय का हलफनामा भी दाखिल किया गया है।