इंदौर : लता मंगेशकर ने 70 बरस तक अपने गीतों के जरिए लोगों को आंदोलित किया। उन्होंने कौन क्या कहता है इसकी कभी परवाह नहीं की। उनका लक्ष्य केवल संगीत की साधना थी। पीएम मोदी ने जब लताजी के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित किए तो ऐसा लगा जैसे पूरे देश ने लता दीदी के प्रति सम्मान प्रकट किया है। उन्होंने अपने गीतों के जरिए हिंदी की भी खूब सेवा की। ये बात स्व. लता मंगेशकर को नमन करते हुए संस्कृतिकर्मी संजय पटेल ने कही। वे मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति की ओर से आरएनटी मार्ग स्थित समिति के सभागार में सृष्टि के सबसे सुमधुर स्वर लता मंगेशकर को भावांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे। शब्द और स्वर सुमन के जरिए लता दीदी को इस मौके पर याद किया गया।
भारतरत्न दिग्गज कलाकार भी थे लता दीदी की प्रतिभा के कायल।
शिक्षाविद महावीर कुमार जैन ने भारत रत्न लता मंगेशकर के सम्मान में पांच भारतरत्न दिग्गज कलाकारों द्वारा कही गई बातों का उल्लेख किया। ये कलाकार थे पंडित भीमसेन जोशी,पंडित रविशंकर, सुब्बालक्ष्मी, बिस्मिल्लाह खां और भूपेन हजारिका। ये सभी लताजी की विलक्षण गायन प्रतिभा के कायल थे।
सृष्टि का अनहद नाद थी लताजी।
ख्यात संगीतज्ञ सलिल दाते ने कहा कि लता दीदी सृष्टि का अनहद नाद थी। सुरों के जिस स्वर्गलोक को लताजी छोड़ गई हैं, हम उसके वासी हैं, यह हमारे लिए गौरव की बात है। सलिल दाते ने बांसुरी के जरिए एक गीत की धुन पेश कर भी लताजी को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
वैशाली बकोरे और पलाशी ने अर्पित किए स्वर सुमन।
शहर की ख्यात गायिका वैशाली बकोरे और नवोदित कलाकार पलाशी शर्मा ने इस कार्यक्रम में भजन, गजल और देशभक्ति गीत पेश कर लता मंगेशकर को स्वरांजलि दी। पंडित नरेंद्र शर्मा की लिखी रचना ‘तुम आशा, विश्वास हमारे’ से वैशाली ने आगाज किया। इसके बाद उन्होंने मीरा का भजन पेश किया।
इसके बाद पलाशी शर्मा ने माइक थामा और गालिब की लताजी द्वारा गाई ग़ज़ल पेश की। बोल थे ‘रोने से इश्क में और बेबाक हो गए।’
स्वर सुमन को आगे बढाते हुए वैशाली ने ‘बाजे रे मुरलिया बाजे’ गीत प्रस्तुत किया। पंडित नरेंद्र शर्मा के ही लिखे देशभक्ति गीत ‘जो समर में हो गए अमर’ गाकर वैशाली ने कार्यक्रम का समापन किया। उनके साथ हारमोनियम पर हर्षल शेवगांवकर और तबले पर लोकेश उपाध्याय ने संगत की।
प्रारम्भ में अरविंद जवलेकर और अन्य अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया।मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति की ओर से प्रधानमंत्री सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी ने अतिथि कलाकार और वक्ताओं को स्मृति चिन्ह भेंट किए। अंत में दो मिनट का मौन रखकर लता दीदी को श्रद्धांजलि दी गई।