इंदौर : कभी कांग्रेस सबसे बड़ा राजनीतिक दल हुआ करती थी। लेकिन उसकी अपनी गलतियों ने उसे रसातल में पहुंचा दिया है। मप्र में 15 साल बाद मिली सत्ता को भी वह संभाल नहीं पाई। संगठन स्तर पर तो वह कभी मजबूत थी ही नहीं।
हैरत की बात तो ये है कि सत्ता गंवाने के बाद भी कांग्रेस के नेता सबक लेने को तैयार नहीं है। किसी भी काम को लेकर पूर्व तैयारी करना उनकी फितरत में ही नहीं है। सोमवार 28 दिसम्बर को कांग्रेस का 136 वा स्थापना दिवस था। होना तो ये चाहिए था कि इस खास मौके को जोर- शोर से मनाने के लिए पहले से तैयारी शुरू कर दी जाती, पर ऐसा कुछ नजर नहीं आया। गांधी भवन में स्थापना दिवस का कार्यक्रम तो रख लिया गया लेकिन उसकी कोई रूपरेखा तक बनाई नहीं गई। 136 वे स्थापना दिवस पर 136 कार्यकर्ता भी नहीं जुट पाए।
राष्ट्रगीत की पंक्तियां भूले नेता..!
गांधी भवन के ऊपरी हाल में रखे गए स्थापना दिवस के कार्यक्रम में कांग्रेस के तीनों विधायक संजय शुक्ला, जीतू पटवारी और विशाल पटेल नदारद रहे। शहर अध्यक्ष विनय बाकलीवाल, वरिष्ठ नेता केके मिश्रा, रमेश उस्ताद और राजेश चौकसे की मौजूदगी में जैसे-तैसे कार्यक्रम की शुरुआत पार्टी का झंडा फहराने के साथ हुईं। फिर राष्ट्रगीत वंदे मातरम गाने के लिए सब खड़े हो गए। एक नेताजी झाँकी जमाने के चक्कर में वंदे मातरम गाने तो लगे पर बीच की पंक्तियां ही भूल गए। या उन्हें याद ही नहीं थी। जैसे- तैसे राष्ट्रगीत पूरा हुआ ही था कि किसी ने ध्वज वंदन गीत ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा’ की तान छेड़ दी। अजब-गजब मामला ये था कि यह गीत भी किसी को याद नहीं था।आनन-फानन में गीत को निपटाकर भाषणबाजी शुरू कर दी गई। शहर अध्यक्ष अपने भाषण में कांग्रेस की स्थापना का वर्ष 1885 की बजाय 1985 बोल गए। केके मिश्रा ने जरूर अपने उद्बोधन के जरिये उपस्थित कांग्रेसजनों में जोश भरने की असफल कोशिश की। बाद में रमेश यादव उस्ताद ने भी अपनी बात रखी।
तीन बुजुर्ग कांग्रेसजनों का सम्मान।
चलताऊ किस्म के इस कार्यक्रम में तीन बुजुर्ग कांग्रेसजनों के सम्मान की रस्म भी निभाई गई।
खैर, कुल जमा आधे घंटे में कार्यक्रम निपट गया पर 136 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी की बदहाली को देखकर तो यही लगता है कि लगातार हार और सिमटते दायरे के बावजूद कांग्रेसजन सबक लेने को तैयार नहीं हैं।