सरे राह चलते मिल गया था, गुरुदेव कहने वाला..
स्मृति शेष : योगेश देवले 🔻कीर्ति राणा । मेरा योगेश देवले से सरे राह परिचय हुआ था, उन दिनों मैं उज्जैन पदस्थ था। एक दोपहर स्कूटर से कोठी रोड की तरफ जा रहा था। एक हाथ से गाड़ी का हैंडल थाम रखा था, दूसरे हाथ में नमक लगा जाम (अमरुद) था। गाड़ी की स्पीड कम ही थी। उसी रास्ते पर सड़क किनारे खरामा खरामा घुंघराले बाल, बोलती सी आंखों वाला युवक जा रहा था। उसने तो कहा नहीं, मैंने अपनी और पढ़े