इंदौर : केंद्र सरकार द्वारा वापस लिए गए तीनों कृषि कानून किसानों के हित में थे। इनसे किसानों को अपनी उपज कहीं भी बेचने की आजादी मिली थी। पर कुछ लोगों की वजह से उन्हें निरस्त करने की नौबत आई। महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में कृषि सुधार कानून पहले से लागू हैं। एमएसपी की व्यवस्था कभी भी खत्म नहीं होगी। ये कहना है बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व कृषि मंत्री अनिल सुखदेव बोर्डे का। वे इंदौर प्रवास के दौरान पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। इस दौरान किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष दर्शन चौधरी, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राजपूत, प्रदेश मंत्री रवि रावलिया जिलाध्यक्ष घनश्याम पाटीदार और नगर अध्यक्ष मुकेश पंवार भी मौजूद रहे।
कृषि कानून निरस्त होने से किसानों का हुआ नुकसान।
किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री बोर्डे ने कहा कृषि कानूनों का विरोध केवल पंजाब, हरियाणा और यूपी के कुछ हिस्सों तक सीमित था। देश में और कहीं भी इन कानूनों का विरोध नहीं किया गया क्योंकि वे किसानों के हित में लाए गए थे। इन कानूनों से किसानों को बिचौलियों से छुटकारा मिल रहा था। पंजाब की की राजनीति कृषि उपज मंडियों से चलती है। वहां 24 हजार से ज्यादा बिचौलिए सक्रिय हैं, जो वहां की राजनीति में तगड़ा दखल रखते हैं। ये बिचौलिए नहीं चाहते थे कि किसानों को उनकी उपज कहीं भी बेचने की आजादी मिले। इसीलिए राजनीतिक वजहों के चलते कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन खड़ा किया गया। कृषि कानून वापस होने से देश के उन करोड़ों किसानों को निराशा हाथ लगी है, जो बिचौलियों से मुक्त होकर अपनी उपज कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता चाहते थे। बोर्डे ने दावा किया कि आने वाले समय में किसान खुद लामबन्द होकर कृषि कानून फिर से लाने की मांग करेंगे।
महाराष्ट्र व अन्य राज्यों में पहले से लागू हैं कृषि सुधार कानून।
एक सवाल के जवाब में अनिल बोर्डे ने कहा कि महारष्ट्र और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में बरसों पहले से कृषि सुधार कानून लागू किए गए थे। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का कानून तो एनसीपी नेता शरद पंवार के 2006 में मुख्यमंत्री रहते लाया गया था। उससमय वे कांग्रेस में थे। बीजेपी की देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने किसानों को फल, सब्जी और अनाज अपनी मर्जी से बेचने की छूट दी थी।
एमएसपी की व्यवस्था बरकरार रहेगी।
एमएसपी को लेकर किसान मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री का कहना था कि एमएसपी की व्यवस्था थी, है और हमेशा रहेगी। इस बारे में किसी को भ्रम में नहीं रहना चाहिए।
कांग्रेस शासनकाल में बढ़ी किसानों की आत्महत्याएं।
बोर्डे ने महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के संदर्भ में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि महाराष्ट्र में मराठवाड़ा और विदर्भ इलाकों में किसानों की आत्महत्या की घटनाएं कांग्रेस की सरकार के रहते ज्यादा हुई। कांग्रेस की सरकारों ने विदर्भ और मराठवाड़ा में सिंचाई का रकबा बढाने की ओर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते किसान कर्ज में डूबते चले गए और निराशा में उन्होंने खुदकुशी का रास्ता अपनाया। बीजेपी की फडणवीस सरकार ने सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई, जिसके चलते किसानों की आत्महत्या की घटनाओं में खासी कमीं आई। बोर्डे ने आरोप लगाया कि वर्तमान में महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार भी किसानों के साथ वादाखिलाफी कर रही है।बारिश और ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों का उचित मुआवजा देने में उद्धव सरकार आनाकानी कर रही है।
किसानों के उत्थान के लिए कई योजनाएं।
बोर्डे ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसानों के हित में कई योजनाएं चला रही है।किसान सम्मान निधि के जरिए किसानों के खाते में अब तक 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए डाल दिए गए हैं। मप्र की शिवराज सरकार ने किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं। बीजेपी किसान मोर्चा किसानों को ऑर्गेनिक खेती की ओर प्रेरित कर उनकी लागत को कम करने पर जोर दे रहा है। इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंचाने का काम बीजेपी किसान मोर्चा कर रहा है।