इन्दौर : भगवान ने सबको समान सुविधाएं दी हैं। हवा, पानी, रोशनी सहित प्रकृति के सारे तत्व सबके लिए बिना किसी भेदभाव के खुले हैं। यह हमारे विवेक पर निर्भर है कि हम अपने शरीर और मन का कहां, कैसे, कितना उपयोग या दुरूपयोग करते हैं। भागवत हमें विवेक देने वाला ग्रंथ है। पुरूषोत्तम मास को भक्ति, परमार्थ और सेवा के लिए सबसे श्रेष्ठ समय माना गया है।
मनोरमागंज स्थित गीता भवन पर चल रहे पुरूषोत्तम मास की समापन बेला में चल रहे भागवत ज्ञानयज्ञ में गुजरात डाकोरजी के वेदांताचार्य स्वामी देवकीनंदन दास महाराज ने ये विचार व्यक्त किए। बद्रीकाश्रम से आए स्वामी प्रेमाचार्य महाराज भी उपस्थित थे। व्यासपीठ का पूजन ट्रस्ट के अध्यक्ष गोपालदास मित्तल, मंत्री राम ऐरन एवं सत्संग समिति के संयोजक रामविलास राठी ने किया। गीता भवन में 15 अक्टूबर तक प्रतिदिन सुबह 9 से 11 बजे तक एवं शाम 5 से 6.30 बजे तक भागवत ज्ञानयज्ञ कथामृत की वर्षा होगी। कथा में आने वाले भक्तों को सोशल डिस्टेंस, मास्क एवं सेनेटाइजर जैसी सावधानियों का पालन करना अनिवार्य होगा। ज्ञानयज्ञ का समापन 15 अक्टूबर को एवं यज्ञ-हवन 16 अक्टूबर को होगा। शनिवार 17 अक्टूबर से नवरात्रि महोत्सव प्रारंभ होगा जिसमें प्रतिदिन राम मंदिर एवं देवी मंदिर में नवान्ह पारायण सहित विभिन्न अनुष्ठान होंगे।
भागवत हमें विवेक देने वाला ग्रंथ है- देवकीनन्दन दास महाराज
Last Updated: October 11, 2020 " 11:27 pm"
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